गणतंत्र दिवस पर लागू हो सकती है UCC बिल, जन्‍म से विवाह तक बदल जाएंगे ये नियम

प्रदेश में समान नागरिक संहिता गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को लागू हो सकती है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसकी घोषणा कर सकते हैं। इसके लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। नियमावली का विधायी विभाग में परीक्षण किया जा रहा है। साथ ही इसमें विभिन्न प्रकार के आवेदनों के लिए पंजीकरण शुल्क भी तय किया जा रहा है।

यूसीसी लागू होने के बाद कई नियम बदल जाएंगे। लिव इन में रहने वालों को शादी की तरह रजिस्‍ट्रेशन कराना होगा। मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगा दी जाएगी। उत्तराखंड में सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार समान नागरिक संहिता कानून बना चुकी है।

इसे लागू करने के लिए नियमावली भी तैयार हो गई है। इसे विधायी के पास परीक्षण के लिए भेजा गया है। यह देखा जा रहा है कि इसमें किसी भी केंद्रीय कानून का दोहराव न हो। इसके साथ ही समान नागरिक संहिता को धरातल पर उतारने के लिए ब्लाक स्तर के कार्मिकों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए कार्मिकों को चिह्नित कर दिया गया है।

समान नागरिक संहिता को लेकर दिया प्रशिक्षण

उपजिलाधिकारी अबरार अहमद की मौजूदगी में पोखरी विकासखंड सभागार में समान नागरिक संहिता रजिस्ट्रेशन को लेकर ब्लाक कर्मचारियों, नगर पंचायत और तहसील कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें आनलाइन व आफलाइन पंजीयन को लेकर जानकारी दी गई।

इस मौके पर मास्टर ट्रेनर उपेंद्र रावत ने बताया कि समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण, लिव इन रिलेशनशिप की शिकायत के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन शिकायत दर्ज करनी होगी। इसके अलावा उन्होंने अन्य जानकारी भी दी। इस मौके पर खंड विकास अधिकारी राजेंद्र बिष्ट, अधिशासी अधिकारी बीना नेगी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी आदि मौजूद रहे।  

1500 कर्मिकों को दिया जाएगा प्रशिक्षण 

प्रदेश में विभिन्न विभागों के लगभग 1500 कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए लिए एक संस्थान को जिम्मेदारी दी गई है, जो कार्मिकों को समान नागरिक संहिता की प्रक्रिया को समझाने और इन्हें लागू करने की जानकारी देगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही कह चुके हैं कि इसी माह समान नागरिक संहिता कानून को लागू कर दिया जाएगा। प्रदेश में निकाय चुनाव की मतगणना 25 जनवरी को होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि 26 जनवरी को मुख्यमंत्री इसे लागू करने की घोषणा कर सकते हैं। इसी कड़ी में गृह विभाग समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारियों में जुटा हुआ है।

कम किया जाएगा पंजीकरण शुल्क

समान नागरिक संहिता की नियमावली बनाने के लिए गठित समिति ने विभिन्न सेवाओं जैसे विवाह, संबंध विच्छेद, लीव इन रिलेशनशिप व वसीयत आदि के लिए पंजीकरण शुल्क प्रस्तावित किया था। यह शुल्क एक हजार रुपये से लेकर पांच हजार रुपये प्रस्तावित है।

सूत्रों की मानें तो सरकार ने इसे काफी अधिक माना है। अब पंजीकरण शुल्क को कम से कम करने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि यह शुल्क 100 रुपये से लेकर अधिकतम 500 रुपये तक रखा जाएगा। शुरुआत में आमजन को जागरूक करने के लिए कुछ माह यह व्यवस्था निश्शुल्क भी करने पर विचार चल रहा है।

कहां लगेगा कितना जुर्माना?

  1. समान नागरिक संहिता अधिनियम में विवाह एवं विवाह विच्छेद, लिव-इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु पंजीकरण और उत्तराधिकार संबंधी नियमों में पंजीकरण, गलत सूचनाएं देने पर दंड से संबंधित प्रक्रियाएं बताई गई हैं।
  2. विवाह पंजीकरण से संबंधित सूचना नहीं देने या ढुलमुल रवैया अपनाने पर सब रजिस्ट्रार 10 हजार रुपये तक जुर्माना लगा सकेंगे।
  3. इस संबंध में गलत या झूठी सूचना देने पर तीन माह का कारावास अथवा 25 हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनों सजा साथ देने की व्यवस्था है।
  4. विवाह पंजीकरण में सब रजिस्ट्रार पर भी जुर्माना लग सकेगा। पंजीकरण में किसी भी स्तर पर लापरवाही बरतने पर उन्हें 25 हजार रुपये जुर्माना भुगतना देना पड़ सकता है।
  5. लिव-इन रिलेशनशिप में पंजीकरण कराने से कन्नी काटने पर तीन माह का कारावास अथवा 10 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। इस संबंध में गलत या झूठी सूचना देने पर जुर्माने की राशि 25 हजार रुपये होगी। वहीं नोटिस मिलने के बाद कन्नी काटने पर लिव-इन रिलेशन अपराध घोषित हुआ तो छह माह का कारावास अथवा 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकेगा।
  6. समान नागरिक संहिता में विवाह और विवाह विच्छेद के नियमों का उल्लंघन होने पर कारावास और जुर्माना, दोनों प्रविधान हैं।
  7. एक से अधिक पत्नी रखना अपराध की श्रेणी में आएगा।
  8. विवाह विच्छेद और बहु पत्नी के प्रकरणों में तीन वर्ष का कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना लगेगा।
  9. जुर्माना नहीं देने की स्थिति में कारावास की अवधि छह माह बढ़ाई जा सकती है।
  10. नियमावली पर अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल को लेना है।
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