बहुत ही खास होते हैं पोंगल के 4 दिन, इस पर्व का फसल से गहरा है नाता
पोंगल पर्व का संबंध फसल से संबंधित भी होता है। असल में यह पर्व फसल की कटाई और संपन्नता के प्रतीक का उत्सव भी है। इस पर्व को लेकर लोगों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। लोग अपने घर के बाहर रंगोली बनाते हैं। साथ ही सूर्यदेव को खेत में उगी चीजों का सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है।
पोंगल शुभ मुहूर्त
साल 2025 में पोंगल पर्व की शुरुआत, मंगलवार, 14 जनवरी से होने जा रही है। इस दिन संक्रांति का क्षण विशेष महत्व रखता है। ऐसे में इस दिन शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –
थाई पोंगल संक्रांति का क्षण – सुबह 09 बजकर 03 मिनट तक
कैसे मनाते हैं पोंग
1. भोगी पोंगल – पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और इंद्र देव की पूजा अर्चना करते हैं। वहीं
2. थाई पोंगल – थाई पोंगल (Thai Pongal 2025), पोंगल के दूसरे दिन मनाया जाता है, जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और यह कामना की जाती है कि फसल की पैदावार अच्छी हो। इस दिन नई फसल के चावलों को उबालकर खीर भी बनाई जाती है।
3. मट्टू पोंगल – पोंगल का तीसरा दिन मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। फसल की अच्छी पैदावार में मवेशियों का भी विशेष योगदान होता है, इसलिए मट्टू पोंगल के दिन मवेशियों (जानवरों) को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
4. कानुम पोंगल – यह पोंगल का अंतिम दिन होता है। इस दिन को कन्नुम नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गन्ने, दूध, चावल, घी आदि चीजों से पकवान बनाकर सूर्यदेव को इसका भोग लगाया जाता है।