राज ठाकरे ने तोड़ा बेटे के बदले 10 सीट वाला समझौता, देखते रह गए एकनाथ शिंदे और भाजपा

महाराष्ट्र की राजनीति के लिहाज से सोमवार का दिन अहम था। एक तरफ महायुति और महाविकास अघाड़ी ने अपने तमाम बागियों को साध लिया तो कई जगहों पर अब भी बागी उतरे हैं। इसके अलावा राज ठाकरे और महायुति के बीच एक बड़ा समझौता होता दिख रहा था, वह भी आखिरी वक्त में टूट गया। दरअसल मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार चुनाव में उतरे हैं। वह माहिम सीट से लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ उतरे एकनाथ शिंदे की शिवसेना के सदा सरवणकर को मुकाबले से हटाने की पूरी तैयारी थी।

इसके लिए राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे एवं भाजपा के बीच डील भी हो चुकी थी। यह समझौता हुआ था कि माहिम सीट पर अमित ठाकरे को एकनाथ शिंदे सेना वॉकओवर देगी और उसके बदले में मनसे 10 सीटों पर कैंडिडेट वापस लेगी। इस डील के लिए सदा सरवणकर को मनाने के लिए एकनाथ शिंदे खुद ऐक्टिव थे। 15 सालों के विधायक सदा सरवणकर शुरुआत में राजी नहीं थे और भावुक पोस्ट लिखते हुए कहा था कि बालासाहेब ठाकरे होते तो परिवार के लिए सच्चे शिवसैनिक को त्याग करने के लिए नहीं कहते।

कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ने खुद उन्हें इसके लिए राजी किया था। वादा किया गया कि पार्टी जीती तो फिर उन्हें विधान परिषद भेजा जाएगा और सरकार में वह मंत्री भी बनेंगे। इस तरह वह आखिरी दिन राजी हो गए थे और राज ठाकरे से नामांकन वापसी से मिलने उनके घर ‘शिवतीर्थ’ गए। लेकिन राज ठाकरे ने उन्हें लंबे इंतजार के बाद भी मिलने से मना कर दिया। अब सदा सरवणकर का कहना है कि राज ठाकरे ने मुझसे मिलने से ही मना कर दिया। इसलिए मैं खुश नहीं हूं। इस तरह अब माहिम में अमित ठाकरे, सदा सरवणकर और उद्धव सेना के महेश सावंत के बीच ट्रिपल फाइट की स्थिति है।

बेटे के बदले 10 सीट छोड़ने पर गलत संदेश जाने का था डर

यही नहीं अब 10 सीटों से कैंडिडेट वापस लेने की मनसे की स्कीम भी खटाई में पड़ गई है। इस तरह मुंबई क्षेत्र की 10 सीटों पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कैंडिडेट बने रहेंगे और इससे सीधा नुकसान महायुति को ही माना जा रहा है। दरअसल माना जा रहा है कि माहिम सीट से कैंडिडेट वापस लेने में देरी से राज ठाकरे नाराज हो गए। इसके अलावा उन्हें यह भी लगा कि एक के बदले 10 सीट छोड़ने वाले फैसले से गलत संदेश जाएगा। यह मेसेज जाएगा कि बेटे की जीत तय करने के लिए राज ठाकरे ने समझौता किया है। ऐसे में उन्होंने ऐन वक्त में इस समझौते को ही तोड़ दिया।

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