दीपावली से पहले दून की आबोहवा संतोषजनक, उत्तराखंड के 13 शहरों में 24 घंटे थर्ड पार्टी मानिटरिंग शुरू
दून में दीपावली से पहले फिलहाल हवा की गुणवत्ता संतोषजनक है। बीच में कुछ दिन शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स ऊपर चला गया था, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बीते दो दिन से एक्यूआइ 100 से काफी नीचे है। हालांकि, सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है और खासकर दीपावली के दौरान दून की आबोहवा में ‘जहर’ घुल जाता है।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दून समेत 13 शहरों में एक्यूआइ की 24 घंटे थर्ड पार्टी मानिटरिंग शुरू कर दी है। इस तरह दीपावली से पहले और बाद में विभिन्न स्थानों पर वायु प्रदूषण की स्थिति परखी जाएगी।
मैदानी क्षेत्रों में हर वर्ष हवा की गुणवत्ता प्रभावित
मौसम सर्द होने के साथ ही दून समेत ज्यादातर मैदानी क्षेत्रों में हर वर्ष हवा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। एक ओर धुंध बढ़ने के कारण दिन में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण वायुमंडल में ही तैरते रहते हैं। भले अभी मौसम शुष्क है, लेकिन दून में निर्माण कार्यों के चलते अक्सर ही वायु की गुणवत्ता चिंताजनक हो जाती है। इसी क्रम में कुछ दिन पूर्व दून का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 150 से अधिक पहुंच गया था। जो कि सांस के रोगियों के लिए हानिकारक है।
हालांकि, बीते दो दिन से गुणवत्ता में सुधार हुआ है और आंकड़े संतोषजनक हैं। हालांकि, अगले कुछ दिनों में एक्यूआइ में वृद्धि होने की आशंका है। जिससे सांस संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। मौसम सर्द होने के साथ वातावरण में नमी बढ़ने से हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। अब दीपावली से एक सप्ताह पूर्व और एक सप्ताह बाद की 13 शहरों की रीडिंग ली जा रही है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आइएफएस पराग मधुकर धकाते ने बताया कि शहर में निकायों के माध्यम से पानी का छिड़काव, ई-रिक्शा से जनजागरण अभियान, इंटरनेट मीडिया के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर प्रदूषण नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को दीपावली पर अधिक ध्वनि और वायु प्रदूषण वाले पटाखों का प्रयोग न करें।
दून में पिछले सात दिन का एयर क्वालिटी इंडेक्स
तारीख, एक्यूआइ
24 अक्टूबर, 75
23 अक्टूबर, 67
22 अक्टूबर, 175
21 अक्टूबर, 159
20 अक्टूबर, 124
19 अक्टूबर, 123
18 अक्टूबर, 145
सावधान! दीपावली के उल्लास में बिगड़ न जाए सेहत
दीपावली रोशनी और उल्लास का पर्व है, शोर और धुएं का नहीं। त्योहार मनाइए…पर अपनी सेहत, सुरक्षा और दूसरों को अनदेखा कर नहीं। यह दीपोत्सव का महापर्व है। कड़वाहट मिटाकर अपनों के गले मिलने और बड़ों से आशीष लेने का दिन है। इसे पटाखों के शोर में गुम न होने दें।
सांस व हृदय रोग के मरीज बरतें सावधानी
धुएं से दीपावली के दौरान हवा में पीएम बढ़ जाता है। अस्थमा के मरीज जब इस दूषित हवा में सांस लेते हैं तो उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे मरीजों को चाहिए कि वो धुएं से दूर रहें। कोशिश करें कि दीपावली के दिन घर में ही रहें। घर में चल रही साफ-सफाई या फिर रंग-रोगन की वजह से अगर उन्हें दिक्कत होती है तो उन्हें वहां से दूर रखें। प्रदूषण से बचाव के लिए घर में भी मास्क का इस्तेमाल करें। हृदय रोग से पीड़ित मरीज भी सावधानी बरतें। -डा. अनुराग अग्रवाल, दून मेडिकल कालेज के चिकित्सा अधीक्षक।
ध्वनि प्रदूषण से जरा बच
ज्यादातर पटाखों से 80 डेसिबल से अधिक स्तर की आवाज निकलती है। इस कारण बहरापन, उच्च रक्तचाप और अनिद्रा जैसी स्थिति आ जाती है। बच्चे, गर्भवती महिलाएं और सांस की समस्याओं से पीड़ित लोगों की अत्यधिक ध्वनि व प्रदूषण के कारण दिक्कतें बढ़ जाती हैं। हवा में धूल के कणों के साथ घुले बारूद के कण और धुएं के संपर्क में ज्यादा देर रहने वालों को खांसी, आंखों में जलन, त्वचा में चकत्ते पड़ने के साथ उल्टी की समस्या भी हो सकती है। – डा. पीयूष त्रिपाठी, दून मेडिकल कालेज के ईएनटी सर्जन।
त्वचा का रखें ख्याल
पटाखे सावधानी से नहीं चलाने पर त्वचा झुलस सकती है और इस पर लंबे समय तक जले का निशान बना रहता है। गलत तरीके से आतिशबाजी करने के कारण बहुत लोग बुरी तरह जलकर जख्मी हो चुके हैं और कई लोगों की जान तक पर बन आई है। पटाखों के जलने से त्वचा, बाल और आंखों की पुतलियों को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। पटाखों में मौजूद नुकसानदेह रसायन त्वचा में शुष्कता और एलर्जी पैदा करते हैं। वातावरण में नुकसानदेह रसायनों के फैलने से बालों के रोमकूप कमजोर पड़ जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बाल टूटने लगते हैं और बालों की प्राकृतिक संरचना भी बिगड़ती है। – डा. अनिल आर्य, जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ।
…ताकि आंखें रहें सलामत
आतिशबाजी के कारण प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है जो आंखों के लिए हानिकारक है। पटाखे हमेशा खुली जगह पर चलाएं और दूरी का विशेष ध्यान रखें। दुर्घटना से बचने के लिए चश्मा आदि पहनें। रंगोली बनाने के बाद अपनी आंखों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। ताकि रासायनिक पदार्थ आंख में न जाएं। पटाखों के कारण आखों में जरा सी चोट भी एलर्जी और दृष्टिबाधित होने जैसी स्थिति पैदा करती है। -डा. सुशील ओझा, दून मेडिकल कालेज के नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष।