बिहार के भागलपुर में वर्षों पुराना पुल गंगा की बाढ़ में समाया

बिहार में पुल पुलिया का टूटने, बहने और ध्वस्त होकर बर्बाद हो जाने का जो सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को भागलपुर में वर्षों पुराना पुल बाढ़ की मार नहीं झेल सका और बहकर गंगा नदी में समा गया। तेज बारिश और अत्धिक पानी के दबाव के आगे पुलिस टिक नहीं सका और ध्वस्त हो गया। इसे चौखंडी पुल के नाम से जाता है। इस पुल के बह जाने से एक दर्जनों गांवों के लोगों की तबाही बढ़ गयी है। प्रखंड और जिला मुख्यालय से इन गांवों का संपर्क टूट गया है। काफी लंबी दूरी तय करके लोग गांव से बाहर निकल रहे हैं। बताते चलें कि बिहार में पुल गिरना या टूटना राजनीति का विषय बना हुआ है। राजद नेता लालू यादव और तेजस्वी पुल गिरने की घटनाओं को लेकर नीतीश सरकार पर पहले से हमलावर हैं।

यह पुल भागलपुर के पीरपैंती बाखरपुर मुख्य मार्ग पर बना मुस्तफापुर चौखंडी में बना था और आवागमन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था। यह पुल गुरुवार को बाढ़ की भेंट चढ़ गया। हालांकि पुल काफी पुराना था और पिछले काफी जर्जर हो चुका था। इस बाढ़ में शुरू से ही इसके बह जाने की आशंका जताई जा रही थी। ग्रामीणों की और से प्रशासन को पहले बताया गया था लेकिन इसे बचाने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। गुरुवार को नवरात्र में पहली पूजा के दिन आखिरकार यह पुल गंगा के गर्भ में समा गया। जिससे दियारा क्षेत्र के दर्जन भर गांवों के हजारों लोगों किसान, मजदूर, छात्र, नौकरी करने वाले, व्यापारी आदि लोगों का प्रखंड मुख्यालय, पीरपैंती थाना, रेलवे स्टेशन, रेफरल अस्पताल, बैंक, एटीएम से संपर्क पूरी तरह टूट गया।

गांव के लोगों ने बताया कि अब गांव से पार प्रखंड मुख्यालय या रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए घूमकर तकरीबन 10 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी। जिससे लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है। खासकर बीमार और बुजुर्गों को किसी आपात स्थिति में बहुत परेशानी होगी। ग्रामीणों ने भागलपुर जिला प्रशासन से जल्द आवागमन की सुविधा बहाल करने की मांग की है।

पुल के बह जाने की जानकारी मिलते ही बाखरपुर थाना की पुलिस मौके पहुंची है। पीरपैंती बाजार से चौखंडी, बाखरपुर, बाबूपुर होते हुए झारखंड को जोड़ने वाली करोड़ों के लागत से इस पुल को पीडब्ल्यूडी के तहत बनाया गया था जिसमें चौखंडी गांव समीप पुल जर्जर स्थिति में छोड़ दिया गया था। बताया जाता है कि आज गुरुवार को करीब 12 बजे तेज धार के कारण ध्वस्त होकर यह पुल गंगा नदी में समा गया। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है वहीं विपक्ष को राजनीति के लिए एक और मौका मिल गया है।

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