पाकिस्तान: न्यायपालिका पर कब्जे की तैयारी में शहबाज सरकार, जानें क्या है प्रस्ताव

पाकिस्तान सरकार न्यायपालिका पर कब्जा करने की तैयारी कर रही है। उसने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने संबंधी विधेयक के बारे में अटकलों के बीच कुछ और ही योजना बना ली है। बताया जा रहा है कि सरकार संसद में एक व्यापक न्यायिक सुधार पैकेज पेश करने वाली है। इसके तहत मुख्य न्यायाधीश को चुनने का हक प्रधानमंत्री के पास चला जाएगा। 

न्याय प्रणाली में बदलाव होगा

मीडिया रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाला से बताया गया कि कम से कम 22 संशोधनों के साथ न्याय प्रणाली में बदलाव होगा। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार होगा। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली सरकार की योजना रविवार से ही इन सुधारों को लागू करने की है।

प्रस्ताव में जो सबसे अहम बात है वो मुख्य न्यायाधीश की नई नियुक्ति प्रक्रिया है। प्रस्तावित बदलावों के तहत संसदीय समिति और न्यायिक आयोग का विलय किया जा सकता है। इसके अलावा, वरिष्ठतम न्यायाधीश को स्वचालित रूप से नियुक्त करने के बजाय, पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों का एक पैनल प्रधानमंत्री के पास भेजा जाएगा, जो अंतिम निर्णय लेंगे।

न्यायपालिका के अंदर होने वाली राजनीति पर लगेगी रोक

सरकार का मानना है कि वरिष्ठतम न्यायाधीश को नियुक्त करने की मौजूदा प्रथा न्यायपालिका के भीतर पैरवी को बढ़ावा देती है, जिससे मुख्य न्यायाधीश को अपने पसंदीदा उत्तराधिकारियों के पक्ष में वरिष्ठता सूची में हेरफेर करने की अनुमति मिलती है।प्रधानमंत्री को फैसला लेने की यह शक्ति देकर, सरकार न्यायपालिका के भीतर आंतरिक राजनीति पर अंकुश लगाने की उम्मीद कर रही है।

न्यायाधीशों के स्थानांतरण करने की भी होगी अनुमति

इतना ही नहीं, सुधार पैकेज में एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के स्थानांतरण की अनुमति देने का प्रस्ताव भी शामिल है। यह एक ऐसा कदम जो न्यायिक प्रणाली के भीतर लचीलापन बढ़ाएगा।

सभी गठबंधन दल न्यायिक सुधारों पर लगभग सहमत

हालांकि, न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का एक प्रमुख मुद्दा विवाद का विषय बना हुआ है, जिस पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। मगर इसके बावजूद, सभी गठबंधन दल कथित तौर पर मुख्य न्यायिक सुधारों पर लगभग सहमत हैं।

सरकार अपने पत्ते गुप्त रख रही

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के दक्षिणपंथी इस्लामी नेता मौलाना फजलुर रहमान ने हाल ही में संकेत दिया था कि अगर न्यायिक मामलों पर एक सुधार पैकेज पेश किया जाता है, तो इस पर सावधानी से विचार किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार अपने पत्ते गुप्त रख रही है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व सहित एक करीबी समूह के साथ पैकेज पर चर्चा की है। मगर, गठबंधन के बाकी सदस्यों को अभी तक पूरी जानकारी नहीं मिली है।

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