हिजबुल्लाह को तबाह करने की तैयारी में नेतन्याहू, जानें क्या है प्लान…
पिछले कुछ दिनों से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष की तीव्रता में कमी आई है। खास तौर पर 25 अगस्त को हुए हमलों के बाद हिजबुल्लाह शांत नजर आ रहा है। हिजबुल्लाह की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं कि अपने कमांडर शुकर की मौत के बदले की आग में जल रहे हिजबुल्लाह के तेवर शांत क्यों पड़ गए हैं? क्या हिजबुल्लाह इजरायल की कार्रवाइयों से डरा हुआ है? मौजूदा स्थिति के बीच इजरायल में हाल ही में छह बंधकों की हत्या के बाद जनता में रोष फैल गया, जिसके चलते नेतन्याहू सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हुए। इस राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू अन्य मोर्चों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू ने बीते सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम हमास से भारी कीमत वसूलेंगे, लेकिन यह कीमत क्या होगी और कैसे होगी यह बताने वाला नहीं हूं। इसमें सरप्राइज का तत्व शामिल होगा।” इसके अलावा उन्होंने मिस्र की सीमा के पास फिलाडेल्फी कॉरिडोर में स्थायी इजरायली उपस्थिति की मांग की, ताकि गाजा संघर्ष विराम वार्ताओं को बाधित किया जा सके। लेकिन नेतन्याहू ने यह संकेत नहीं दिया कि वे आगे कौन सा कदम उठाएंगे।
हिजबुल्लाह का रुख और संघर्ष की शुरुआत
अक्टूबर 8 को गाजा पर इजरायल के हमले के बाद हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हमले तेज कर दिए। इजरायल द्वारा 31 जुलाई को बेरूत में हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुकर की हत्या के बाद स्थिति और बिगड़ गई। शुकर पर इजरायल ने सीरियाई गोलन हाइट्स में एक हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया था जिसमें 12 बच्चों की मौत हुई थी।
हिजबुल्लाह ने फुआद शुकर की हत्या का बदला लेने की कसम खाई और 25 अगस्त को इजरायल के खिलाफ बड़े पैमाने पर रॉकेट हमले किए। हिजबुल्लाह ने दावा किया कि उसने 340 से अधिक रॉकेट दागे और तेल अवीव के पास के ग्लीलोट सैन्य अड्डे को निशाना बनाया। हालांकि, नेतन्याहू ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ग्लीलोट पर कोई हमला नहीं हुआ।
क्या संघर्ष अब थमेगा?
विशेषज्ञों के अनुसार, हिजबुल्लाह ने अपने हमलों से एक बार फिर इजरायल को यह संकेत दिया है कि उसकी सैन्य क्षमता अभी भी बरकरार है। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि इजरायल इस संघर्ष को आगे बढ़ाएगा या नहीं। मगर नेतन्याहू की हालिया चेतानवी हिजबुल्लाह के खिलाफ मोर्चे के संकेत दे रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष फिलहाल थम सकता है, लेकिन कोई स्थायी शांति समझौता अभी दूर है। लेबनान और इजरायल दोनों में हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं और इस तनावपूर्ण स्थिति के जल्द खत्म होने की संभावना कम दिखाई दे रही है। इस बात की बहुत हद तक संभावनाएं हैं कि इन्तकाम की आग में जल रहा इजरायल फिर से हिजबुल्लाह के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है।