जन्‍माष्‍टमी पर्व आज… श्रीकृष्‍ण की झांकी से लेकर पंचामृत तक का है विशेष महत्व

श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी आज देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनकी विशेष आरती की जाएगी। इस दौरान श्रीकृष्‍ण का विशेष श्रृंगार होगा और उन्हें झांकी में बैठाया जाएगा। जन्‍माष्‍टमी पर श्रीकृष्ण के लिए सजाई जाने वाली झांकी, शंख ध्वनि और पंचामृत का भी विशेष महत्व होता है।

जन्‍माष्‍टमी पर इनका है महत्व

झांकी

जन्‍माष्‍टमी पर झांकी का विशेष महत्व है। इसे सजाने में अशोक के पत्ते उपयोग किए जाते हैं। ये पत्ते सुख, शांति व समृद्धि का प्रतीक होते हैं। साथ ही वातावरण को शुद्ध कर सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करते हैं। झांकी में फूलों का भी उपयोग किया जाता है, जो वातावरण में पंच विकारों से मुक्ति दिलाती है।

तुलसी दल

श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष तौर पर उपयोग किया जाता है। धार्मिक के साथ इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है। तुलसी के पत्ते सकारात्मक वातावरण बनाते हैं और और इसकी गंध से कीटाणुओं का भी नाश होता है। तुलसी मंगल ग्रह की शुद्धि करती है। हालांकि, जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना नहीं चाहिए। एक दिन पहले ही इसे तोड़कर लें।

पंचामृत

पंचामृत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्‍यता है कि घी और दही से शुक्र ग्रह शुद्ध होता है। जबकि दूध व गंगा जल, चंद्रमा ग्रह को शुद्ध करते हैं। शहद से गुरु ग्रह मजबूत होता है। पंचामृत से स्नान कराना अपने ग्रहों को शुद्ध करने की प्रक्रिया है। इससे प्रतिमा भी शुद्ध होती है।

शंख

जन्म के समय शंख बजाने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

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