दिल्ली में डॉक्टरों की हड़ताल 11वें दिन भी जारी, FAIMA ने SC का किया रुख

सुप्रीम कोर्ट के काम पर लौटने के अनुरोध को खारिज करते हुए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अपना हड़ताल जारी रखा है। कोलकाता के एक अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या के खिलाफ यहां रेजिडेंट डॉक्टरों का अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन गुरुवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया। डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के कारण दिल्ली भर के अस्पतालों में सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में बलात्कार और हत्या मामले का स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा से जु़ड़े पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) का गठन किया। वाइस एडमिरल आरती सरीन की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय टास्क फोर्स को तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

हालांकि, कुछ डॉक्टरों के संघों ने टास्क फोर्स की संरचना पर असंतोष व्यक्त किया है। डॉक्टरों के निकाय के एक अधिकारी ने कहा कि वे लोग टास्क फोर्स के सदस्यों के चयन के आधार को नहीं समझ पा रहे हैं। इसमें रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए था, जिसकी वे मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसरों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए क्योंकि हिंसा की घटनाएं मुख्य रूप से सरकारी अस्पतालों में देखी जाती हैं।

इस बीच, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) ने एनटीएफ की सिफारिशें लागू होने तक डॉक्टरों के लिए अंतरिम सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। शीर्ष अदालत के समक्ष चल रही कार्यवाही में हस्तक्षेप की मांग करते हुए याचिका में तर्क दिया गया कि डॉक्टरों को अक्सर हिंसा की कथित घटनाओं और उनकी सुरक्षा के लिए खतरों का सामना करना पड़ता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एनटीएफ में रेजिडेंट डॉक्टरों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो क्योंकि वे नियमित आधार पर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उनकी सलाह इन समस्याओं का समाधान पेश करने में सहायक हो सकते हैं।

याचिका में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन की मांग करते हुए कहा गया है कि रेजिडेंट डॉक्टरों की भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि सभी हितधारकों के साथ समग्र चर्चा के बाद व्यापक दिशानिर्देश तैयार किए जाएं। याचिका में अस्पताल और छात्रावास के प्रवेश और निकास द्वार और गलियारे क्षेत्रों सहित सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग की गई है।

याचिका में प्रमुख मांगों में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन, चौबीसों घंटे इमरजेंसी कॉल की सुविधा प्रदान करना शामिल है। साथ ही आपातकालीन स्थितियों में स्वास्थ्य कर्मियों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने की मांग की गई है।

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