कोचिंग सेंटर में जलभराव के कारण तीन छात्रों की मौत की होगी हाई लेवल जांच, HC याचिका हुई दायर
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर में जलभराव के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए एक कुटुंब नामक संस्था ने दिल्ली हाईकोर्ट दरवाजा खटखटाया है।
संस्था की तरफ से अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने मामला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष उठाया। अदालत ने मामले को सुनवाई के लिए बुधवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
न्याय मित्र ने की मामले की जल्द सुनवाई की मांग
उधर, दिल्ली के कई कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण और उल्लंघनों को चिह्नित करने वाले कोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट से मामले की पहले सुनवाई करने का आग्रह किया।
न्याय मित्र ने ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बाढ़ग्रस्त बेसमेंट में हुई मौतों की पृष्ठभूमि में अदालत को सूचित किया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को मास्टर प्लान में एक प्रमुख खंड पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, जिसके तहत कोचिंग सेंटरों को बेसमेंट में संचालित करने की अनुमति देता है।
आग की घटना का कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने संकेत दिया कि अदालत शीघ्र सुनवाई की प्रार्थना पर गौर करेगी, क्योंकि उनकी अध्यक्षता में एक अलग पीठ 28 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कोचिंग सेंटरों के सुरक्षा मानकों पर याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। इसमें आग लगने का मामला भी शामिल है। मुखर्जी नगर में एक कोचिंग सेंटर में लगी आग की घटना का अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया।
अधिवक्ता गौतम नारायण ने मामले का संक्षेप में उल्लेख करते हुए कहा कि एमपीडी-2021 के खंड 15.7.3 (VII) की व्याख्या की आवश्यकता है क्योंकि यह कोचिंग केंद्रों द्वारा उपयोग किए जा रहे बेसमेंट के लिए आता है।
नियम में कहा गया है कि कोचिंग और ट्यूशन सेंटर एमपीडी 2021 और यूनिफाइड बिल्डिंग बायलॉज के प्रासंगिक प्रविधानों के तहत अग्निशमन अधिकारियों और अन्य वैधानिक निकायों से मंजूरी के अधीन बेसमेंट का उपयोग कर सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि यदि बेसमेंट का उपयोग भूखंड पर अनुमेय फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) से अधिक है, तो ऐसे अतिरिक्त एफएआर का उपयोग उचित शुल्क के भुगतान के अधीन किया जाएगा।