केजरीवाल का शुगर सोते हुए 5 बार 50 से नीचे, कोमा में जाने का खतरा: संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की सेहत को लेकर बड़ा खुलासा किया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में संजय सिंह ने कहा कि जब से अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, तब से पांच बार ऐसा हुआ है कि जब रात में उनका शुगर काफी कम हुआ है। इस दौरान उनका शुगर लेवल 50 से भी कम हो गया।

उन्होंने कहा कि शुगर लेवल के उपर जाने पर तो उसे कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन नीचे जाने पर काफी मुश्किल हो जाता है। सिंह ने कहा कि रात में सोते समय केजरीवाल का शुगर लेवल 50 से नीचे गया है और ऐसे में वह कोमा में भी जा सकते हैं।

संजय सिंह ने कहा कि अभी हाल ही में हमलोगों ने आप नेता और दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी की हालत को देखा है। जब आतिशी का शुगर लेवल 41 पर पहुंच गया तो डॉक्टरों ने कहा कि वह कोमा में जा सकती है, इसलिए उन्हें अस्पताल में एडमिट कराना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का शुगर लेवल रात में पांच बार 50 से नीचे गया है। रात में जेल के बाहर कौन सा डॉक्टर बैठा रहता है। कौन सा डॉक्टर रात में ड्यूटी करता है। कहा कि वह खुद 6 महीने जेल में रहे हैं। अगर रात में आपको कोई समस्या हो गई तो आप घंटी बजाते रहिए। बहुत मुश्किल से रात में ओपीडी ले जाया जाता है। 

संजय सिंह ने कहा कि ये सब क्यों किया जा रहा है। और किस वक्त में किया जा रहा है। आपको याद होगा जैसे ही ट्रायल कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी, बगैर ऑर्डर कॉपी के ईडी हाई कोर्ट पहुंच गई। उसने कोर्ट से जमानत पर स्टे ले लिया। सिंह ने कहा कि यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली और एकमात्र घटना है। कानून को, नियमों को और प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर केजरीवाल के लिए स्टे लिया गया।

संजय सिंह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन आने वाली ईडी के द्वारा ऐसा किया गया। जब हम लोगों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल जाएगी तो सीबीआई का झूठा और मनगढ़ंत केस अरविंद केजरीवाल पर डाल दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि उनके स्वास्थ्य के खिलवाड़ किया जा सके।

सिंह ने कहा कि जेल में डालना तो एक बात है, लेकिन केजरीवाल का स्वास्थ्य गिर जाए, उन्हें गंभीर बीमारी हो जाए, उनके साथ जेल के अंदर अनहोनी हो जाए, यही उनके खिलाफ साजिश का मकसद है प्रधानमंत्री का। इसलिए मामनीय न्यायालय को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए।    

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