आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है स्कन्द षष्ठी व्रत, जानिए पूजा विधि
स्कन्द षष्ठी भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र कार्तिकेय यानी भगवान स्कन्द को समर्पित है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कन्द षष्ठी का व्रत रखा जाता है और भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना भी शुभ माना गया है। वहीं स्कन्द षष्ठी का व्रत रखने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है, साथ ही आर्थिक संपन्नता भी बढ़ती है।
इस बार स्कन्द षष्ठी की शुरुआत 11 जून को शाम 5 बजकर 27 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 12 जून को शाम 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। हालांकि उदया तिथि को देखते हुए व्रत 12 जून को ही रखा जाएगा।
कौन है भगवान कार्तिकेय?
हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय को युद्ध का देवता माना गया है। माना जाता है कि वे देवताओं की सेना के सेनापति है। उन्हें सुब्रमण्यम, स्कंद, कुमार स्वामी और कुमारन के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंद षष्ठी पर पूजन विधि
- प्रात: काल जल्दी और उठें और स्ननादि एंवं नित्यकर्मों से निर्वत्त होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें और भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करें।
- भगवान गणेश और नवग्रहों के पूजन के बाद भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
- स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की षोडशोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए। इस दौरान उन्हें पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं और उन्हें भोग लगाएं।
- भगवान कार्तिकेय की आरती करने के बाद उनकी परिक्रमा करें और प्रसाद वितरित करें।
- स्कंद षष्ठी पर आवश्यक वस्तुओं का दान भी करना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
- स्कंद षष्ठी पर अगर आप उपवास रखते हैं तो इस दिन फलाहार का ही सेवन करना चाहिए, सूर्योदय के बाद भोजन कर सकते हैं।
- स्कंद षष्ठी पर व्रत के दौरान तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।