महिला के पेट से निकला ढाई किलो बाल का गुच्छा, ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर भी हैरान

भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट के एमपी क्षेत्र में संचालित सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट जानकीकुंड अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान युवती के पेट में करीब ढ़ाई किलो बाल मिले है। युवती गर्भवती होने के दौरान बाल खाती रही है। उसने प्रसव होने के बाद बाल खाने बंद कर दिए थे, लेकिन पेट में काफी मात्रा में मौजूद बालों की वजह से उसके पेट में दर्द की शिकायत रही। जिस पर सिटी स्कैन कराने के बाद मामला उजागर हुआ।

जानकीकुंड अस्पताल में विचलित कर देने वाला यह मामला सामने आया है। जिसमें आपरेशन के दौरान महिला के पेट में करीब दो से ढाई किलो बाल निकले। यह देखकर डॉक्टर भी हैरान हो गए। महिला महोबा जनपद की रहने वाली है और उसकी उम्र करीब 25 वर्ष है। बताते हैं कि दूसरी प्रेगनेंशी के बाद से ही महिला बाल खाने लगी थी। वह खुद के साथ ही दूसरों के भी बाल मिलने पर खाती रही है। महिला के बाल खाने से पेट में बाल का गुच्छा जमा हो गया था। प्रसव होने के बाद महिला ने बाल खाने बंद तो कर दिए थे, लेकिन पहले से ही उसके पेट में बाल मौजूद होने की वजह से उसे दिक्कतें होने लगी थी।

पेट में दर्द की शिकायत होने पर परिजनों ने स्थानीय डाक्टरों को दिखाया, जिस पर डाक्टरों ने अल्ट्रासाउंड कराया, लेकिन बीमारी की जानकारी नहीं हो पाई। दो दिन पहले परिजन महिला को लेकर जानकीकुंड अस्पताल पहुंचे। यहां पर भी अल्ट्रासाउंड में कुछ नहीं मिला तो सिटी स्कैन कराया गया, जिसमें आमाशय में बाल का गुच्छा होने की जानकारी हो पाई। जानकीकुंड हास्पिटल की सर्जन डा पूनम आडवाणी (निर्मला गेहानी) ने जब पेट का आपरेशन किया तो आमाशय में बालों का गुच्छा मिला। 

डाक्टर बोली, उनकी लाइफ का यह तीसरा केस

आपरेशन करने वाली सर्जन डा पूनम आडवाणी (निर्मला गेहानी) कहती हैं कि मेडिकल पोजीशन में इसे ट्राइको मेजोर बोलते है। जिसमें कम उम्र की महिलाओं में बाल खाने की शिकातयत होती है। कुछ में मानसिक बीमारी होती है। अपनी लाइफ में उन्होंने यह तीसरा केस देखा है। एक नौ साल का बच्चा, दूसरा 18 साल की लडकी व तीसरी 25 साल की यह महिला है। बताया कि महिला ने डिलीवरी होने केबाद बाल खाना बंद कर दिया था। प्रसव होने के बाद भी में पेट दर्द की शिकायत रही। अल्ट्रासाउंड में भी कुछ नहीं आया। लेकिन जब सिटी स्कैन कराया गया तो जानकारी हो पाई है। कहा कि बालों का गुच्छा बनने में समय लगता है। जब आमाशय में भर गया तो उल्टियां होने लगी और तभी तकलीफ हुई है। आमाशय पूरा भरने पर खाना अंदर नहीं जाता, जिससे कमजोर होने के बाद फिर मौत भी हो सकती है।

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