माधव को प्रिय है वैशाख मास, जप-तप, दान का अनंत गुना फल
वैशाख मास को माधव मास भी कहते हैं। जिस प्रकार भगवान नारायण यानी माधव को लक्ष्मी प्रिय हैं। उसी प्रकार से उन्हें माधव यानी वैशाख मास भी प्रिय हैमन वैशाख मास में ही परशुराम, भगवान नरसिंह, गौतम बुद्ध, हयग्रीव भगवान, सीताजी, आदिगुरु शंकराचार्य व रामानुजाचार्य का भी प्रादुर्भाव हुआ था। वैशाख मास में किए हुए जप, तप, यज्ञ दान , प्रातःकाल स्नान, संकीर्तन का अनंत गुना फल होता है।
भगवान की भक्ति हो जाए तो और भी दुर्लभ है
स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ने मानस पीठ फूटा ताल में वैशाख मास के अंतर्गत चल रहे संकीर्तन सत्संग में यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने आगे कहा कि प्रथम तो भारतवर्ष में जन्म होना ही दुर्लभ है। फिर मनुष्य योनि में जन्म लेना कठिन है। इसके बाद भगवान के चरणों में भक्ति का होना दुर्लभ है। और तब भी कभी वैशाख या माधव मास के महीने में भगवान की भक्ति हो जाए तो और भी दुर्लभ है। उमेश सेन, पुष्पा सोनी, सविता चौरसिया, रक्षा चौरसिया, मुकेश सोनी, सत्यशील सोनी, अविनाश खरे, आर्यन श्रीवास्तव, सचिन खरे प्रताप ठाकुर उपस्थित थे।