मरीजों की किडनी और लीवर से खिलवाड़, सरकारी अस्पतालों में बिना जांच के दी जा रहीं दवाएं
अस्पतालों में मरीजों को बीमारी के हिसाब से इलाज में लापरवाही हो रही है। बीमारी का वास्तविक कारण जानने के लिए आवश्यक जांच कराए बिना ही दवा लिखी जा रही है। सामान्य बीमारी में भी जरूरत से अधिक दवाएं लिखी जा रही है। कुछ मामलों में आधी-अधूरी दवा चिकित्सक लिख दे रहे हैं। नवजात शिशुओं के इलाज में भी अनदेखी हो रही है। कई जगह बीमार नवजात बच्चों का वजन नहीं कराने के साथ ही शरीर का तापमान भी नहीं मापा जा रहा है। भाव्या एप पर मरीजों के अपलोड पुर्जा की जांच में इस तरह की कई लापरवाही सामने आई है।
अब स्वास्थ्य विभाग ऐसे लापरवाह चिकित्सकों को चिह्नित कर कार्रवाई करेगा। इन चिकित्सकों को पहले नोटिस दी जाएगी और संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर नियमानुसार निलंबन आदि की कार्रवाई होगी। चार जिलों मुजफ्फरपुर, नालंदा, सीवान, गोपालगंज के सभी सरकारी अस्पतालों के मरीजों का पुर्जा मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना के तहत भाव्या सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया जा रहा है।
पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस योजना की समीक्षा में अधिकारियों को निर्देश दिया था। निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य और विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से भाव्या एप पर अपलोड पुर्जा की गहनता से जांच करने का निर्देश दिया गया। पुर्जा के आधार पर जांच करने के लिए कहा गया था कि मरीजों के इलाज में कही कोताही तो नहीं हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से भाव्या एप पर अपलोड पुर्जे के आधार पर 20 मरीजों या उनके परिजनों को प्रतिदिन रैंडम तरीके से इलाज की जानकारी फोन के माध्यम से ली जा रही है।
ये दवाएं अधिक लिखी जा रहीं, जानें असर
पारासिटामोल (बुखार के लिए): लंबे समय पर उपयोग से लीवर और किडनी पर असर
डिक्लोफिनैक (दर्द की दवा): लीवर और किडनी पर गंभीर दुष्प्रभाव
एमोक्सी (एंटीबायोटिक): रोग प्रतिरोधक क्षमता घटाता है
लिबोसिट्रिजिन (सर्दी की दवा): अधिक दवा लेने पर गला और नाक सूखने लगता है
पैन 40 या एसिलोक (गैस की दवा): साइड इफेक्ट कम
सदर अस्पताल गोपालगंज में 35 वर्ष के एक व्यक्ति को कफ की शिकायत थी। डॉक्टर ने यह नहीं पूछा कि कफ कब से है। कफ के मुख्य कारण की जांच चेस्ट का एक्सरे या अन्य जांच भी नहीं कराई। मरीज को एजिथ्रोमाइसिन, लिबोसिट्रीजिन और कफ सीरफ दिया गया। साथ में गैस की दवा और पारासिटामोल की गोली भी दी गई। विशेषज्ञ ने गैस की दवा और पारासिटामोल की गोली देने को दवा का दुरुपयोग माना। अनुमंडल अस्पताल बिहारशरीफ में दो माह के बच्चे के पुर्जा की जांच में पाया गया कि बच्चे का न तो वजन, न ही शरीर का तापमान चेक किया गया। लीवर और लंग्स की स्थिति भी नहीं चेक किया। जांच में इसे गंभीर लापरवाही माना गया।