बिहार बोर्ड पर पटना HC ने लगाया जुर्माना, जानिए पूरा मामला

बिहार बोर्ड पर पटना हाईकोर्ट की बड़ी कार्रवाई का डंडा चला है। इसके साथ कोर्ट ने उस शिक्षक को बड़ी राहत दी है जिन्हें बिहार बोर्ड ने गलत आरोप लगाकर कानूनी दांव पेंच में फंसा दिया था। इंटरमीडिएट 2019 के वार्षिक (सैद्धांतिक) परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के दौरान तैनात किए शिक्षक पर बोर्ड ने एफआईआर  दर्ज करा दिया था। कोर्ट ने उस केस को रद्द करने का आदेश दिया है।

मामला वैशाली जिले का है। मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न करने के उद्देशय से मूल्यांकन केन्द्र पर योगदान नहीं करने के कारण वैशाली के जिला शिक्षा अधिकारी ने करीब 25 परीक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी करने का आवेदन हाजीपुर सदर थाने में दिया था। इसके आलोक में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी। उधर सभी शिक्षक अपना पक्ष पदाधिकारी के सामने रखते रहे लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी। पुलिस की कार्रवाई से सभी परेशान हो गए। 

उसके बाद पीड़ित शिक्षक इस मामले को लेकर हाईकोर्ट की शरण में चले गए। उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने प्राथमिकी को निरस्त करते हुए बेवजह शिक्षकों को परेशान किये जाने का आरोप  बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर लगाया। कोर्ट में बोर्ड को फजीहत का सामना करना पड़ा। 

कोर्ट ने बिहार बोर्ड पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की यह राशि आवेदक शिक्षक को देने का आदेश दिया गया है। याचिकाकर्ता के वकील राजेश रंजन ने कहा कि जब शिक्षक ने मूल्यांकन करने से इनकार कर दिया तो फिर उन्होंने कैसे मूल्यांकन कार्य में बाधा उत्पन्न किया। इस प्वाइंट पर कोर्ट ने शिक्षकों पर लगाए गए आरोपों के निराधार और बेबुनियाद करार दिया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति शिक्षकों पर दबाव बनाकर काम करवाना चाहती है। दूसरी ओर, सरकारी वकील अजय ने अर्जी का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि शिक्षकों के एक ग्रुप ऐसे है जो मूल्यांकन कार्य का विरोध करते हैं।

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