पुतिन ने बांग्लादेश को यूरेनियम ईंधन की भेजी पहली खेप, 90 प्रतिशत की फंडिंग कर रहा रूस
यूक्रेन युद्ध और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों से चल रहे तनातनी के बीच रूस ने बांग्लादेश को पहले परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए यूरेनियम ईंधन की पहली खेप पहुंचा दी है। इससे बांग्लादेश अब परमाणु ऊर्जा उत्पादन करने वाला दुनिया का 33वां देश बन जाएगा। बांग्लादेश रूस के स्वामित्व वाली परमाणु कंपनी रोसाटॉम के सहयोग से दो परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में से पहले का निर्माण कर रहा है। 12.65 अरब डॉलर की रूपपुर परमाणु संयंत्र परियोजना की 90 फीसदी फंडिंग रूस से हो रही है। शर्तों के मुताबिक, बांग्लादेश इस कर्ज को 10 साल की छूट अवधि के साथ 28 वर्षों में रूस को चुकाएगा।
परमाणु ईंधन पहुंचने पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि देश परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए करेगा। बांग्लादेश को परमाणु ईंधन की आपूर्ति ऐसे समय हुई है, जब यूक्रेन युद्ध जारी है और रूसी कंपनियों पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखा है। रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से परियोजना में देरी हुई लेकिन अब उम्मीद है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी।
बांग्लादेश के अधिकारियों को रूपपुर परमाणु संयंत्र के लिए यूरेनियम ईंधन सौंपने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री शेख हसीना वीडियो कांफ्रेंस के जरिये शामिल हुए। रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिखाचेव ने परमाणु ईंधन बांग्लादेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री याफेस उस्मान को उत्तरी पबना जिले में आयोजित समारोह में सौंपा।
इस मौके पर हसीना ने कहा, “आज बांग्लादेश के लोगों के लिए गर्व और खुशी का दिन है।” उन्होंने कहा,”बांग्लादेश भविष्य में एक स्मार्ट देश बनकर उभरेगा और परमाणु ऊर्जा संयंत्र उस स्मार्ट बांग्लादेश के निर्माण की दिशा में एक और कदम है। हम शांति की रक्षा के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करेंगे।”
रूपपुर संयंत्र राजधानी ढाका से लगभग 200 किमी (124 मील) पश्चिम में स्थित है। इस संयंत्र की कुल उत्पादन क्षमता 2,400 मेगावाट है। COVID-19 महामारी प्रतिबंधों और यूक्रेन पर आक्रमण के बाद मॉस्को पर प्रतिबंधों के कारण इस संयंत्र के निर्माण में देरी हुई है। सत्तारूढ़ अवामी लीग के मुताबिक परमाणु संयंत्र की पहली इकाई अगले साल जुलाई में परिचालन शुरू करने वाली थी, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है और ऊर्जा उत्पादन शुरू करने की तारीख आगे बढ़ा दी गई है।
पहली बार रूसी विदेश मंत्री का दौरा
1971 में आजाद होने के बाद पहली बार पिछले महीने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बांग्लादेश का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया था कि यूक्रेन में युद्ध पर पश्चिमी प्रतिबंधों की बाधाओं के बावजूद, मॉस्को रूपपुर परमाणु संयंत्र परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी TASS ने बताया कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का डिजाइन और निर्माण रोसाटॉम के इंजीनियरिंग डिवीजन द्वारा किया जा रहा है। TASS के मुताबिक इस संयंत्र का जीवन चक्र 60 वर्षों का होगा जिसे को 20 और वर्षों तक बढ़ाने की संभावना है। संयंत्र के चालू होने पर 2,000 श्रमिकों को रोजगार मिलेगा। इनमें से लगभग 1,500 को रूस में प्रशिक्षित किया जाएगा।
वाशिंगटन और ढाका के बीच बढ़ी दूरियां
बता दें कि बांग्लादेश और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं। हालांकि, अमेरिका बांग्लादेश को एक अहम रणनीतिक सैन्य सहयोगी मानता रहा है और 1972 से ही रक्षा सहयोग में उसे भारत के साथ साझीदार के रूप में देखता रहा है। इसी साझेदारी के तहत बंगाल की खाड़ी में कई संयुक्त सैन्य अभ्यास भी हो चुके हैं लेकिन लोकतंत्र और मानवाधिकार जैसे मुद्दे पर दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ी हैं।
पिछले साल अमेरिका ने मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दे पर बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसे बाइडेन प्रशासन की बदली विदेश नीति मानी जा रही है। इससे पहले 2021 में भी अमेरिका ने बांग्लादेश को लोकतंत्र सम्मेलन से दूर रखा था और मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) के दिन बांग्लादेश के रैपिड एक्शन बटालियान (RAB) और कई अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इतना ही नहीं जो बाइडेन ने बांग्लादेश को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भी ताकीद किया है। इस साल के अंत तक बांग्लादेश में आम चुनाव होने वाले हैं।
रूस ने उठाया मौके का फायदा
दक्षिण एशियाई भू राजनीति और बंगाल की खाड़ी में मजबूत किलेबंदी के मकसद से रूस लंबे समय से बांग्लादेश पर नजरें टिकाए हुए है। जैसे ही अमेरिका से ढाका के रिश्तों में थोड़ी तल्खी आई रूस ने आग बढ़कर बांग्लादेश की मदद करने का फैसला कर लिया।