FPI पर SEBI ने सख्त किए नियम, अब एक कंपनी में 50% से ज्यादा हिस्सेदारी रखने पर जारी करना होगा डिस्क्लोजर
नई दिल्ली, शेयर बाजार में और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए बाजार नियामक सेबी ने एक कंपनी या ग्रुप में ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली एफपीआई के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर देने को अनिवार्य कर दिया है।
डिस्लोजर में एफपीआई में उन सभी संस्थाओं के बारे में बताना होगा। जहां उनकी हिस्सेदारी,इकोनॉमिक हित और कंट्रोल राइट्स होंगे। नियामक की ओर से इस तरह के डिस्क्लोजर को लेकर टाइमलाइन भी निर्धारित की गई है।
कब से लागू होगा नया फ्रेमवर्क?
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की जारी किए सर्कुलर में कहा गया कि नया फ्रेमवर्क एक नंवबर से लागू होगा।
किन FPI पर लागू होगा ये नियम?
वे फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशक (Foreign Portfolio Investment) जिनके एयूएम में 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी एक ग्रुप या कंपनी में है। उन एफपीआई को होल्डिंग के लिए अतिरिक्त डिस्क्लोजर देना होना। इसके साथ ही उस एफपीआई की भारतीय बाजार में कुल होल्डिंग 25,000 करोड़ रुपये अधिक होनी चाहिए।
नियामकों की ओर से बताया गया कि एफपीआई द्वारा अतिरिक्त डिस्क्लोजर देने के बाद कैलेंडर के अगले 30 दिनों तक वे उस कंपनी में खरीदारी नहीं कर पाएंगे।
किन FPI को होगी छूट?
सरकार से जुड़ी इकाइयां जैसे केंद्रीय बैंक, सॉवरन वेल्थ फंड और पब्लिक रिटेल फंड्स जो एफपीआई के रूप में पंजीकृत हैं, उन्हें इस नियम से छूट दी गई है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि एक्सपर्ट का मानना है कि अदाणी ग्रुप में कुछ एफपीआई के मालिकों का नहीं पता लगने के कारण बाजार नियामकों की ओर से ये नियम बनाया गया है। मौजूदा नियम एफपीआई के सही कई निवेशों के असली मालिकों की पहचान करने में ढीले हैं। इस नियम के आने से बाजार अधिक पारदर्शी होगा।