नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 में बड़ा खुलासा, पढ़ें पूरी खबर…
उत्तराखंड में सबसे ज्यादा अमीर लोग देहरादून में रहते हैं जबकि ठीक इसके पास हरिद्वार में स्थिति बिल्कुल उलट हो जाती है। यह खुलासा नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 से हुआ है। रिपोर्ट बताती है कि राज्य के सभी जिलों में गरीबी कम हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार में गरीबी दर सर्वाधिक 16.29 प्रतिशत है। देहरादून में ये आंकड़ा सबसे कम 3.02 है। इस सूची में यूएसनगर 11.26 के साथ दूसरे व नैनीताल 10.09 के साथ तीसरे नंबर पर है। हल्द्वानी के महिला डिग्री कॉलेज में अर्थशास्त्रत्त् विभाग की डॉ.हिमानी बताती हैं कि हरिद्वार में प्रवासियों की संख्या बढ़ने से गरीबी दर सबसे ज्यादा है।
किसी भी क्षेत्र में गरीबी बढ़ने के पीछे पलायन और कम रोजगार प्रमुख कारण होते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार व रिवर्स पलायन बढ़ने से गरीबी दर कम हुई है।
तीन आयाम और 12 संकेतकों का होता है: उपयोग बहुआयामी गरीबी को मापने के लिए आयोग ने तीन आयाम और 12 संकेतकों का उपयोग किया है। स्वास्थ्य, शिक्षा व जीवन स्तर आयाम के तौर पर हैं। इन आयामों को पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा
के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, विद्युत, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे संकेतकों से दर्शाया गया है।
10 जिलों में 10 प्रतिशत से कम रह गई है गरीबी दर
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 से 2021 के बीच उत्तराखंड में गरीबों की संख्या में खासी कमी आई। 2016 तक देहरादून को छोड़कर अन्य जिलों में गरीबी दर 10 से अधिक थी। इस बार देहरादून, चंपावत, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा समेत 10 जिलों में गरीबी दर 10 से कम है। देहरादून की गरीबी दर 6.88 से घटकर 3.02, रुद्रप्रयाग में 13.91 से 5.14, पिथौरागढ़ में 13.96 से 6.48, चमोली में 16.78 से 6.81, बागेश्वर में 19.99 से 7.50 व अल्मोड़ा में 16.8 से महज 9.47 फीसद रह गई है।
उत्तराखंड में 2015-16 के मुकाबले 2019-21 में गरीबी में रहने वालों की संख्या घटी है। 2015-16 में यह आंकड़ा 17.67 था जो 2019-21 में 9.67 रह गया। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की बहुआयामी गरीबी में भी 11.03 की कमी आई है।
पुष्कर सिंह धामी, सीएम का ट्वीट