चाणक्य नीति के इन दो श्लोकों का जीवन में करें अनुसरण, नहीं आयेंगी मुश्किलें

आचार्य चाणक्य ने जीवन को सफलतापूर्वक जीने के लिए सदियों पहले कई ज्ञान की बातें अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में बताई हैं। यदि आप भी जीवन में किसी बड़ी मुसीबत से बचना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य के इन दो श्लोकों को अपने जीवन में उतारकर सकते हैं –

वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।

रूपवर्ती न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले ।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिए कि वह श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न हुई कुरूप या सौंदर्य हीन कन्या से भी विवाह कर ले लेकिन कभी भी नीच कुल में उत्पन्न हुई सुंदर कन्या से विवाह न करें। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि विवाह हमेशा अपने समान कुल में ही करना चाहिए। जीवनसंगिनी के चुनाव के समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

आचार्य चाणक्य के मुताबिक आमतौर पर शादी-विवाह के लिए सुंदर कन्या देखी जाती है। सुंदरता के कारण लोग ना ही कन्या के गुणों को देखते हैं, ना ही उसके कुल को। ऐसी कन्या से विवाह करना सदा ही दुखदायी होता है, क्योंकि नीच कुल की कन्या के संस्कार भी नीच ही होंगे। उसके सोचने, बातचीत करने या उठने-बैठने का स्तर भी निम्न होगा, जबकि उच्च और श्रेष्ठ कुल की कन्या का आचरण अपने कुल के अनुसार होगा। आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि श्रेष्ठ कुल की कन्या कुरूप व सौंदर्य हीन हो, वह जो भी कार्य करेगी, उससे अपने कुल का मान ही बढ़ेगा और नीच कुल की कन्या तो अपने व्यवहार से परिवार की प्रतिष्ठा ही बिगाड़ेगी।

नखीनां च नदीनां च शृंगीणां शस्त्रपाणिनाम्।

विश्वासो नैव कर्तव्यो स्त्रीषु राजकुलेषु च।।

इस श्लोक के मुताबिक ‘नखीनाम्’ अर्थात बड़े-बड़े नाखूनों वाले शेर और चीते आदि प्राणियों, विशाल नदियों, ‘शृंगीणाम्’ अर्थात बड़े-बड़े सींग वाले सांड़ आदि पशुओं, शस्त्र धारण करने वालों, स्त्रियों तथा राजा से संबंधित कुल वाले व्यक्तियों का विश्वास कभी नहीं करना चाहिए।

हिंसक प्राणियों पर विश्वास न करें

आचार्य चाणक्य के मुताबिक बड़े-बड़े नाखूनों वाले हिंसक प्राणी से बचकर रहना चाहिए, न जाने वे कब आपके ऊपर हमला कर दें। जिन नदियों के तट पक्के नहीं, उन पर इसलिए विश्वास नहीं किया जा सकता कि न जाने उनका वेग कब प्रचंड रूप धारण कर ले और कब उनकी दिशा बदल जाए, इसलिए प्रायः नदियों के किनारे रहने वाले लोग सदैव उजड़ते रहते हैं।

भरोसमंद नहीं बड़े सिंग वाले पशु

बड़े-बड़े सींग वाले सांड़ आदि पशुओं का भी भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि पता नहीं मिजाज कब बिगड़ जाए। चाणक्य के मुताबिक जिसके पास तलवार आदि कोई हथियार है, उसका भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वह छोटी-सी बात पर क्रोध में आकर कभी भी आक्रामक हो सकता है।

चंचल स्त्रियों पर न करें भरोसा

आचार्य चाणक्य के मुताबिक चंचल स्वभाव वाली स्त्रियों पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। वह अपनी चतुरता से कभी भी आपके लिए प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा कर सकती हैं। इस तरह के कई उदाहरण प्राचीन ग्रंथों में मिल जाएंगे। राजा से संबंधित राजसेवकों और राजकुल के व्यक्तियों पर भी विश्वास करना उचित नहीं। वे कभी भी राजा के कान भरकर नुकसान करवा सकता है।

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