अमेरिका के इस बड़े बैंक पर भी मंडराया खतरा, इतने बिलियन डॉलर का लेना पड़ सकता हैं लोन

अभी पिछले हफ्ते ही उधारदाताओं की विफलताओं के बाद अमेरिका के तीन बड़े बैंक को बंद करना पड़ा। अब यह डर बाकी बैंकों को भी सता रहा है। इसका असर अमेरिका के फर्स्ट रिपब्लिक ( First Republic) पर दिखने लगा है। ऐसे में फर्स्ट रिपब्लिक की हालत भी सिलिकॉन वैली बैंक की तरह न हो जाए इसके लिए अब अमेरिका का सबसे बड़ा बैंक सामने आ गया हैं।

बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप और जेपी मॉर्गन चेस सहित 11 अमेरिकी निजी बैंकों के एक संघ ने घोषणा की है कि वे फर्स्ट रिपब्लिक में 30 बिलियन डॉलर जमा करेंगे, जिससे बैंकिंग प्रणाली को पहले से ज्यादा मजबूत किया जा सके और इनके पतन का खतरा कम हो जाए।

लगातार गिर रहे थे फर्स्ट रिपब्लिक के शेयर

अमेरिका के तीन बैंक के बंद हो जाने के बाद फर्स्ट रिपब्लिक के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही थी, लेकिन बैंक संघ द्वारा इस घोषणा के बाद गुरुवार को वॉल स्ट्रीट पर इसके शेयर में स्थिरता आई और 10 प्रतिशत अधिक पर बंद हुए।

बैंकिंग प्रणाली के लचीलेपन को बढ़ाने का प्रयास

संघ के एक बयान में कहा गया है कि अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों की यह कार्रवाई फर्स्ट रिपब्लिक और सभी आकार के बैंकों में उनके विश्वास को दर्शाती है। वहीं, ट्रेजरी डिपार्टमेंट, यूएस फेडरल रिजर्व, फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन और मुद्रा के नियंत्रक कार्यालय के नेताओं ने कहा कि बड़े बैंकों के एक समूह द्वारा इस तरह का समर्थन यह दिखाता है कि बैंकिंग प्रणाली में हमेंअपनी वित्तीय ताकत और तरलता को बढ़ाने की जरूरत है, जो लचीलेपन को प्रदर्शित करता है।

इस तरह मिल रही सहायता

बैंक ऑफ अमेरिका, सिटीग्रुप, जेपी मॉर्गन चेस और वेल्स फारगो प्रत्येक फर्स्ट रिपब्लिक में 5 बिलियन डॉलर की अबीमाकृत जमा राशि जमा कर रहे हैं। वहीं, गोल्डमैन और मॉर्गन स्टेनली प्रत्येक 2.5 बिलियन डॉलर डालेंगे। दूसरी तरफ, पीएनसी बैंक और यूएस बैंक सहित पांच अन्य उधारदाताओं का एक समूह कर 1 बिलियन आवंटित कर रहा है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंक टर्म फंडिंग प्रोग्राम के तहत सभी अग्रिमों की कुल बकाया राशि बुधवार तक 11.9 अरब डॉलर तक पहुंच गई।

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