MCD Election: चली झाडू उड़ी धूल, तंग हुआ हाथ, मुरझा गया फूल, मसाज और शराब ने किसकी की सेहत खराब?
दिल्लीः “मैं दिल्ली के लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि उन्होंने अपने बेटे, अपने भाई को इस लायक समझा कि उन्होंने हमें नगर निगम की भी जिम्मेदारी दी है। आपके भरसों को कायम रखूं ऐसी मेरी हमेशा कोशिश रहेगी।” साधारण सी चप्पल, नीले रंग की कमीज और उस पर हाफ आस्तीन का स्वेटर। अपने व्यक्तित्व और बोलने कि बेचारगी भरी शैली से केजरीवाल किसी को भी पहली नज़र में किसी कक्षा के आज्ञाकारी छात्र प्रतीत हो सकते हैं। ‘अच्छे होंगे पांच साल – एमसीडी में भी केजरीवाल’। इस नारे के साथ पार्टी ने एमसीडी चुनाव के लिए अपना प्रचार अभियान शुरू किया। 15 साल से दिल्ली की नगर निगम पर काबिज बीजेपी एक तरफ अपने जीत के दावे करती नजर आ रही थी तो वहीं सर्वे पोल के नतीजे दिल्ली के सियासी वट वृक्ष में नई कोपले खिलने के संकेत दे रहे थे। 7 दिसंबर को जब एमसीडी चुनाव के वास्तविक नजीते आएं तो दिल्ली निगम में भीकेजरीवाल को गले लगाते दिखी वो भी ताकत और भरोसे के साथ।
द्वापर में हस्तिनापुर ने महाभारत का युद्ध देखा था। कलयुग में दिल्ली के पिछले दौर में राजनीति का कुरूक्षेत्र ही बन गई थी। क्या-क्या नहीं हुआ आरोपों के तीर दागे गए। घपले घोटाले की पर्चियां फेंकी गई। नगर निगम के इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के असर को बेअसर करने के लिए सारे अस्त्र आजमाए गए। लेकिन इसके बावजूद आप की झाड़ू कुछ इस तरह से चली की विरोधियों की रणनीति हवा में उड़ गई। नतीजतन जीत जिनके कदम चूमते दिख रही है उनका नाम है अरविंद केजरीवाल।
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मैदान में उतार दी केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज
दिल्ली के एमसीडी में अपने 15 सालों के शासन को कायम रखने के लिए बीजेपी ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उसने अपने सांसदों, मंत्रियों की पूरी फौज निगम चुनाव में उतार दी। यहां तक की उत्तराखंड और एमपी के सीएम सहित यूपी के उप मुख्यमंत्रियों को भी चुनाव प्रचार में लगाया। हेमंत बिस्व सरमा से जनसभा करवाई। पीयूष गोयल से हनुमान चालीसा का पाठ कराया। पूर्वांचल वोटरों को साधने के लिए मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव को भी लगाया। लेकिन तमाम प्रयोग बेअसर साबित हुए। हालांकि ये बात और है कि बीजेपी, जिसने 2007 से एमसीडी पर शासन किया है, अपने 100+ टैली के साथ यह साबित करने में कामयाब रही है कि यह एंटी-इनकंबेंसी से उतना नहीं तौला गया जितना कि विपक्ष ने उम्मीद की थी। पार्टी 2017 के एमसीडी चुनावों में अपने वोट शेयर को 36% से बढ़ाकर इस बार 39% करने में सफल रही।
एमसीडी का एकीकरण और वार्डों की संख्या घटी
2012 में शीला दीक्षित की सरकार के वक्त एमसीडी को तीन निगमों में बांटा गया था। लेकिन इसके बाद से ही तीनों एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा रहा। इस बार मोदी सरकार ने तीनों एमसीडी को एक कर दिया। एमसीडी के कुछ वार्डों का आकार बदल दिया गया है ताकि उनकी संख्या 272 से 250 तक लाई जा सके। आयोग ने 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 22 के भूगोल को बदल दिया, प्रत्येक में एक वार्ड कम कर दिया गया। शेष 48 को छुआ नहीं गया था। अधिक संख्या में वार्डों वाले विधानसभा क्षेत्रों को मूल रूप से आकार के मामले में समानता प्राप्त करने के लिए चुना गया।
शराब घोटाला का शिकंजा
एमसीडी चुनाव की घोषणा से पहले ही दिल्ली का शराब घोटाला सुर्खियों में आ गया। आप सरकार पर जगह-जगह शराब के ठेके खोलने का आरोप लगाया गया। जांच की आंच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर भी आई और उन्हें पूछताछ के लिए तलब भी किया गया। इसके साथ ही बीजेपी द्वारा कथित शराब घोटाले से जुड़ा स्टिंग वीडियो साझा किया गया। जिस पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा को खुली चुनौती देते हुए यहां तक दावा किया था कि अगर स्टिंग वीडियो सही है तो वह गिरफ्तार होने को तैयार हैं। बाद में सीबीआई की चार्जशीट भी दायर की गई लेकिन इसमें सिसोदिया का नाम शामिल नहीं किया गया। जिसको लेकर भी आप नेताओं की ओर से लगातार सवाल उठाए गए।
मसाज वीडियो
चुनाव प्रचार के आगाज के साथ ही जेल में बंद दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन का मसाज कराते तो कभी पौष्टिक आहार खाते वीडियो वायरल होने लगे। किसी वीडियो में जैन जेल में होने के बावजूद मेवा खाते नजर आए तो कभी मसाज कराते। जिसको लेकर बीजेपी ने लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर निशाना साधा। लेकिन सभी वीडियोज को गलत बताते हुए आप ने कहा कि उन्होंने 15 साल में एमसीडी में कोई काम नहीं किया इसलिए ऐसे वीडियो रोज आते रहेंगे।