1995 में भारत आया था भारी-भरकम मोबाइल हैंडसेट, 27 साल का होते-होते ये ‘खर्चीला बच्चा’ हो गया है स्मार्ट
दिल्ली : मोबाइल फोन आज के दौर में हर आम और खास व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं. कुछ लोग तो दो या तीन स्मार्टफोन भी अपने पास रखते हैं. आज भले ही स्मार्टफोन पतले और हल्के हो गए हों, लेकिन अपने शुरुआती दौर में काफी भारी-भरकम होते थे. उसी भारी-भरकम हैंडसेट के दौर में भारत में भी पहली बार 31 जुलाई 1995 को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम से मोबाइल कॉल कर बातचीत की थी.
मोबाइल हैंडसेट के शुरुआती दौर में आउट-गोइंग ही नहीं इन-कमिंग कॉल और मैसेज के भी ठीकठाक पैसे लगते थे. तब लोग मिसकॉल देकर छोड़ देते थे ताकि सामने वाला कॉल कर ले और उनका खर्चा होने से बच जाए. हालांकि, भारत में साल 1995 में आने के बाद से अब तक 27 साल का होते-होते ये ‘खर्चीला बच्चा’ सुपर स्मार्ट होने के साथ ही किफायती भी हो गया है. भारत में आने के ठीक एक साल पहले यानी 1994 में दुनिया के पहले स्मार्टफोन आईबीएम सिमॉन की सेल शुरू हुई थी.
क्या थीं पहले स्मार्टफोन की खूबियां
आईबीएम सिमॉन काफी हैवी स्मार्टफोन था. ना तो इसमें कर्व्ड डिस्प्ले था और ना ही कैमरा था. तब इसकी कीमत भी 900 डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में आज की 73610 रुपये थी. इसका वजन करीब 500 ग्राम था और आकार में आधी ईंट के बराबर था. हालांकि, इसमें ग्रीन एलसीडी टच स्क्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था. आज के स्मार्टफोंस की तरह इसकी बैटरी घंटों या कई दिनों तक नहीं चलती थी. आईबीएम सिमॉन की बैटरी लाइफ सिर्फ एक घंटा होती थी.
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आईबीएम सिमॉन में थी हर सुविधा
दुनिया के इस पहले स्मार्टफोन को आईबीएम और अमेरिका की सेल्युलर कंपनी बेलसेल्फ ने बनाया था. ये स्मार्टफोन बहुत ही साधारण होने के बाद उस समय की जरूरतों के मुताबिक यूजर्स को हर सुविधा उपलब्ध कराता था. इसीलिए इसका नाम सिमॉन रखा गया था. इस स्मार्टफोन के जरिये यूजर्स नोट्स लिख सकते थे. वहीं, इसमें कैलेंडर व कॉन्टेक्ट्स अपडेट करने के साथ ही फैक्स भेजने या रिसीव करने की सुविधा भी दी गई थी. इसके अलावा फोन कॉल्स करने या रिसीव करने से जुड़ी सभी जरूरी सुविधाएं भी इसमें थीं.
पहली सेल में बिके 50 हजार स्मार्टफोन
आईबीएम सिमॉन के बॉटम में अलग से एक स्लॉट दिया गया था. इसमें यूजर्स मैपिंग, स्प्रैडशीट, गेम्स जैसी एप्लीकेशंस भी इनसर्ट कर सकते थे. 1994 में हुई पहली सेल में इसके करीब 50,000 हैंडसेट की बिक्री हुई थी. इस स्मार्टफोन की लंबाई करीब 23 सेंटीमीटर थी. कुछ समय पहले इसे लंदन के साइंस म्यूजियम में भी रखा गया था.
भारत में नोकिया की मदद से पहुंची सेवा
भारत में नोकिया के हैंडसेट की मदद से मोबाइल कॉल सर्विस को लोगों तक पहुंचाया गया. वहीं, मोदी टेल्स्ट्रा को देश में मोबाइल सेवा देने वाली पहली कंपनी के तौर पर श्रेय दिया जाता है. मोदी टेल्स्ट्रा ने मोबाइल सर्विस का नाम मोबाइलनेट रखा था. बाद में मोदी टेल्स्ट्रा स्पाइस टेलीकॉम के नाम से भारत में मोबाइल सेवाएं देने लगी. इसके बाद नई तकनीक के विकास के साथ भारत में भी दुनियाभर की मोबाइल हैंडसेट कंपनियों ने कदम रखा.
भारत में 27 साल बीतने के साथ सस्ते और किफायती स्मार्टफोंस के साथ ही महंगे लग्जरी स्मार्टफोंस बनाने वाली कंपनियां भी दांव लगाती हुई नजर आ रही हैं. वहीं, अब इनकमिंग ही नहीं आउटगोइंग कॉल्स भी फ्री हो गई हैं. कुल मिलाकर अब स्मार्टफोंस सुपर स्मार्ट हो चुके हैं. फिर भी स्मार्टफोन के विकास की प्रक्रिया अभी थमी नहीं है. यूजर्स आने वाले समय में स्मार्टफोंस के फीचर्स देखकर चौंकते रहेंगे.