जमानत के मामलों में क्यों पड़ रहा सुप्रीम कोर्ट, कानून मंत्री बोले- जजों की रिटायरमेंट सीमा बढ़ाने का विचार नहीं

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार (04 नवंबर, 2022) को कहा कि फिलहाल केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की रिटायरमेंट सीमा बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, “हम न्यायाधीशों के कार्यकाल में वृद्धि नहीं कर रहे हैं। हमें लगता है कि रिटायरमेंट की आयु सर्वोच्च न्यायालय के लिए 65 वर्ष और उच्च न्यायालय के लिए 62 वर्ष ठीक है। अगर इस पर निर्णय लेने की कोई आवश्यकता लगी तो ऐसा किया जा सकता है, लेकिन अभी ऐसी कोई योजना नहीं है।”

मुंबई में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए उन्होंने ये बातें कही हैं। मंत्री ने कहा कि यह भ्रांति है कि न्यायपालिका में बड़ी संख्या में रिक्तियां होने के कारण लंबित मामलों की संख्या अधिक है।

उन्होंने कहा, “बड़ा सवाल है- मामलों का निपटान। इसका उम्र या वेकेंसी या इस सब से कोई लेना-देना नहीं है। लोगों को यह गलतफहमी है, कि खाली पदों के कारण, मामले लंबित हैं। यह वास्तव में सच नहीं है। जैसा कि मैंने कहा, मैं बहुत अकादमिक नहीं बनना चाहता और सभी कारणों के बारे में बात करके इसे बोरिंग नहीं बनाना चाहता हूं।”

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किरेन रिजिजू ने कहा, “यदि लंबित मामलों को देखें तो इनमें से आधे से ज्यादा मामले ऐसे हैं जो सूचीबद्ध् होने के लायक नहीं हैं। आप मुझे बताएं कि सुप्रीम कोर्ट को खुद को जमानत याचिकाओं में क्यों शामिल करना चाहिए? हर जमानत सुप्रीम कोर्ट में जा रही है। क्या सुप्रीम कोर्ट को भारत ने जमानत याचिकाओं की सुनवाई के लिए बनाया? जमानत याचिकाओं को निचली अदालतों द्वारा निपटाया जाना चाहिए। सीमित मामले उच्च न्यायालय में आने चाहिए, सर्वोच्च न्यायालय को भूल जाओ। जमानत याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट क्यों देखे, जब तक कि यह मृत्युदंड या कुछ गंभीर मामले ना हों।

उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तंत्र विकसित करने पर विचार कर रही है कि कानूनी विवाद आवश्यक रूप से अदालतों तक नहीं पहुंचें बल्कि मध्यस्थता आदि के माध्यम से पार्टियों के बीच सुलझाए जाएं।

कानून मंत्री ने कहा, “कई मामलों को स्थानीय समुदाय स्तर पर निपटाया जा सकता है। अब यदि आप मेरे द्वारा पेश किए गए मध्यस्थता विधेयक को देखें, तो मुझे बहुत उम्मीद है कि आने वाले शीतकालीन सत्र (संसद के) में हम मध्यस्थता विधेयक को पारित करने में सक्षम होंगे। मैं आपको इस मंच पर बता रहा हूं कि बड़ी संख्या में मामलों को मध्यस्थता के माध्यम से संभाला जा सकता है। … अन्य व्यवसाय, अनुबंध के मामले मध्यस्थता में जाने चाहिए। केवल सीमित मामले ही अदालत में आने चाहिए।”

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