‘आरक्षण जरूरी है’ मानवाधिकार आयोग ने बताए निचले तबके के हाल
दिल्लीः राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने बुधवार को कहा, ‘आरक्षण का लाभ समाज के सबसे निचले तबके तक नहीं पहुंचा है।’ NHRC के स्थापना दिवस पर अपने संबोधन में न्यायमूर्ति मिश्रा ने कारागारों की स्थिति में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
न्यायमूर्ति मिश्रा कहा, ‘समाज के वंचित वर्गों के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक उत्थान के लिए कई कदम उठाए गए हैं। अभी और सकारात्मक कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।’ NHRC प्रमुख ने कहा कि भारत में हालांकि कई सामाजिक-आर्थिक कल्याणकारी योजनाएं हैं, ‘लेकिन उत्थान के लिए आरक्षण जरूरी है।’
उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट करने का समय आ गया है कि समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए उन वर्गों को भी आरक्षित श्रेणी के तहत आरक्षण मुहैया कराया जाए, जिन्हें अब तक यह सुविधा नहीं मिली है, क्योंकि आरक्षण का फायदा समाज के निचले तबके तक नहीं पहुंचा है।’ न्यायमूर्ति मिश्रा ने मानवाधिकारों से संबंधित कई अन्य मुद्दों पर भी बात की और कहा कि लैंगिक समानता सभी के लिए जरूरी है।
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जस्टिस नागमोहन दास ने भी कही थी यह बात
हाल ही में कर्नाटक सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का फैसला लिया था। उस दौरान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में दोनों सदनों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें जस्टिस नागमोहन दास कमेटी रिपोर्ट पर चर्चा की गई थी। सीएम ने कहा था कि जनसंख्या के आधार पर एससी/एसटी कोटा में इजाफा लंबे समय से लंबित था।
लाभार्थियों तक पहुंच पर क्या बोले जस्टिस दास
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में लाभार्थियों पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि आज कुछ एससी/एसटी आरक्षण का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इसकी वजह बुनियादी शिक्षा नहीं होना है। उनका कहना है कि सरकारी नौकरी में न्यूनतम शिक्षा की जरूरत होती है और उनमें से कुछ के पास यह योग्यता नहीं है। ऐसे में सरकार को उनकी शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।