इंडिया गेट से: बंगाल की भाजपा ने फिर ली अंगडाई
दिल्लीः मंगलवार को पश्चिम बंगाल में कोलकाता से सटे हावड़ा जिले के विभिन्न हिस्सों में बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की। इसमें कई पुलिस अधिकारी और बीजेपी नेता भी घायल हुए। कई इलाकों में प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए। बेरहमी से लाठीचार्ज हुआ तो पथराव भी जम कर हुआ। पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ताओं को ऐसे पीटा जैसे वे पुलिस न हो कर तृणमूल कार्यकर्ता हों। जिस से भीड़ भी हिंसक हुई। पुलिस की एक गाड़ी में आग लगा दी गई।
भाजपा ने मुख्यमंत्री के कार्यालय और सचिवालय तक यह मार्च ममता सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोजित किया था। प्रदर्शन के हिंसक होने की गूंज कोलकाता से लेकर दिल्ली तक सुनाई दी। भाजपा का रूप वैसा ही आक्रामक दिखा, जैसे विधानसभा चुनावों के दौरान नजर आया था। देश हैरान है कि एक साल से शांत पड़ी भाजपा अचानक उग्र कैसे हो गई। तो इस की अलग कहानी है। जो बंगाल से बाहर बैठे लोगों को समझ नहीं आ सकता। जबकि बंगाल में बैठे भाजपा वर्कर और टीएमसी के वर्कर भी अच्छी तरह जानते हैं कि 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा एक दम शांत क्यों पड़ी हुई थी। और अब अचानक उस में जान क्यों और कैसे आ गई।
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भाजपा के एक साल तक शांत हो जाने के तीन कारण हैं। चुनावों में इतना हाइप बनाया गया था कि जैसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है। जब नतीजे आए तो भाजपा और भाजपा कार्यकर्ताओं के सपने चकनाचूर हो गए क्योंकि भाजपा को सिर्फ 77 सीटें मिलीं थीं। ममता की शानदार जीत के बाद भाजपा के नेता अचानक गायब हो गए। बयान आने बंद हो गए। अगर सरकार बनने का माहौल न बनाया गया होता तो कार्यकर्ता इतना निराश नहीं होता, क्योंकि तीन सीटों से बढ़ कर 77 होना कम नहीं था।