कुछ फैसले और सुधार भले ही शुरुआत में खराब लगते हैं, होते हैं दूरगामी फायदे – मोदी

दिल्लीः देश में अग्निपथ स्कीम को लेकर छिड़े विवाद के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ फैसले और सुधार भले ही शुरुआत में खराब लगते हैं, लेकिन लंबे वक्त में उनसे देश को फायदा होता है। माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी की यह टिप्पणी अग्निपथ स्कीम को लेकर है। बता दें कि इस स्कीम पर विवाद छिड़ा हुआ है। बिहार, यूपी, हरियाणा, राजस्था और एमपी समेत देश के कई राज्यों में युवा इसका विरोध कर रहे हैं। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कई विकास योजनाओं की लॉन्चिंग के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने यह टिप्पणी की। 

उन्होंने कहा कि कई फैसले और सुधार तात्कालिक रूप से अप्रिय लग सकते हैं, लेकिन लंबे समय में उसके लाभ देश अनुभव करता है। हमने स्पेस और डिफेंस जैसे कई सेक्टर्स को देश के युवाओं के लिए खोल दिया है, जिनमें दशकों तक सरकार का ही एकाधिकार था। आज हम देश के युवाओं से कह रहे हैं कि सरकार ने जो वर्ल्ड क्लास सुविधाएं बनाई हैं, उनमें अपने विजन और प्रतिभा को टेस्ट करें। हम दुनिया के साथ तभी मुकाबला कर पाएंगे, जब सभी को समान अवसर दिए जाएं। 

पीएम नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु की विकास परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जिन कामों को 40 साल पहले पूरा हो जाना था, वे आज तक लंबित हैं और अब ये मेरे हिस्से आए हैं। आप लोगों ने मुझे मौका दिया है और अब मैं समय गंवाना नहीं चाहता हूं। उन्होंने कहा कि जब आसपास के इलाके रैपिड रेल से जुड़ जाएंगे तो उससे बेंगलुरु में जाम समेत तमाम समस्याएं खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवेज का हमने जो शिलान्यास किया है, उनके निर्माण के बाद बड़ी संख्या में गाड़ियों को बेंगलुरु आना ही नहीं पड़ेगा। इससे सफर भी आसान होगा और बेंगलुरु की व्यवस्था भी बेहतर होगी।

उन्होंने कहा कि बीते 8 सालों में हमने रेलवे के अनुभव को पूरी तरह बदल दिया है। अब भारतीय रेल तेज भी है, स्वच्छ भी है और आधुनिक भी हो रही है। इसके अलावा सुरक्षित भी है और सिटिजन फ्रेंडली भी हो रही है। हमने देश के उन हिस्सों में भी रेल को पहुंचाया है, जहां इसके बारे में सोचना तक मुश्किल था। कर्नाटक में भी 1,200 किलोमीटर से ज्यादा की रेल लाइन या तो नई बनी है या फिर विस्तार हुआ है। अब हवाई यात्रा और एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं अब रेलवे भी दे रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि बेंगलुरु के एम. विश्वेश्वरैया रेलवे स्टेशन पर तो लोग पर्यटन के लिए जाते हैं। यहां तक कि युवाओं में तो सेल्फी की होड़ रहती है।

कोरोना के समय बेंगलुरु में बैठे युवाओं ने पूरी दुनिया को संभालने में मदद की है। बेंगलुरु ने दिखा दिया है कि यदि सरकार अवसर दे तो भारत का युवा क्या नहीं कर सकता है। बेंगलुरु देश के युवाओं के सपनों का शहर और इसके पीछे उद्यमशीलता और इनोवेशन है। बेंगलुरु उन लोगों को अपना माइंडसेट बदलने की सीख भी देता है, जो अभी भी भारत के प्राइवेट सेक्टर को भद्दे शब्दों से संबोधित करते हैं। देश की शक्ति को करोड़ों लोगों के सामर्थ्य को सत्तावादी मानसिकता के लोग कमतर आंकते हैं। 21वीं सदी का भारत वेल्थ क्रिएटर्स और जॉब क्रिएटर्स का है। इस ताकत को प्रमोट करने के लिए जो प्रयास बीते 8 सालों में हुए हैं, उनकी चर्चा तो होती है, लेकिन बहुत सीमित दायरे में होती है।

भारत में खेती के बाद सबसे बड़ा सेक्टर MSME है। लेकिन हमारे यहां इसकी परिभाषा ही ऐसी रखी गई थी कि वे खुद का विस्तार करना चाहते थे तो उनका नुकसान होता था। इसलिए वे खुद को छोटे उपक्रम की ओर ले जाते थे। ऐसे में हमने उसकी परिभाषा को ही बदल दिया ताकि वे अपना विस्तार कर सकें। 

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