ज्ञान से रोशनी

एक बच्चा बहुत शरारती, खूब उठापठक और तोड़फोड़ करने वाला। चीजें उठाता और तोड़कर उसकी जांच करता। स्कूल ने उसे महामूर्ख बता कर निकाल दिया। अध्यापकों ने मां से कहा-यह बच्चा पढ़ नहीं सकेगा। इसे ले जाइये। लाचार मां बच्चे को घर ले आई। बच्चा घर में कैद हो गया। उस बच्चे को बुरे सपने आने लगे। वह रात को सपनों में बड़बड़ाने लगा। वह सपने में बोलता- ‘मां मैं अंधे कुएं में गिर गया हूं। मां यहां बहुत अंधेरा है। मुझे निकालिए मां।’ जब मां उसकी चीखें सुनती तो और बेबस हो जाती। फिर मां ने सोच विचार करके बच्चे को किताबें पढ़ने को दीं। बच्चा किताबें पढ़ता। मां उसे और किताबें लाकर देती। वे किताबें अंधे कुएं में रोशनी बन गई। वह बच्चा था-थॉमस एडिसन। एडिसन ने अंधेरे कुएं से निकल कर न केवल खुद दुनिया देखी, बल्कि दुनिया को रोशनी दी। बल्ब का आविष्कार एडिसन ने किया। जिसको हमारे समाज ने अंधे कुएं में धकेल दिया था। उनके नाम पर दर्ज हजारों पेटेंट उनकी प्रतिभा को प्रमाणित करते हैं।

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