हल्द्वानी में देश का पहला ‘जुरासिक पार्क’ तैयार, जाने क्या है खासियत

दिल्लीः वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी में डायनासोर पार्क बनाया गया है. बॉटनी वैज्ञानिकों की मदद से इस जुरासिक पार्क की स्थापना की गई है, जिसमें डायनासोर की प्रजातियों और उनके खानपान के जानकारी दी जाएगी.

डायनासोर काल की वनस्पतियां अब वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी द्वारा बनाए गए जुरासिक पार्क में खिलखिला रही हैं. वहीं, इस वजह से बड़ी संख्या में यहां छात्र भी पहुंच रहे हैं और उनको यहां लगे बोर्ड के जरिये इनके बारे में पूरी जानकारी भी मिल रही है. असल में तो डायनासोर को इंसानों ने नहीं देखा लेकिन इस पार्क के जरिए लोगों को पता चल सकेगा कि आखिर डायनासोर क्या खाते थे?

करीब 24 करोड़ 80 लाख साल पहले डायनासोर की उत्पत्ति हुई और 6.50 करोड़ साल पहले डायनासोर का पृथ्वी से खात्मा हो गया. डायनासोर का खात्मा कैसे हुआ, इसको लेकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से डायनासोर के कई कंकाल मिले, जिनसे वैज्ञानिकों उनकी मौजूदगी का पता चला. जुरासिक काल में वनों के अंदर किस तरह के वनस्पति होते थे और डायनासोर कौन सी वनस्पति खाते थे ? उसको लेकर हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र ने रिसर्च करते हुए भारत के पहले जुरासिक पार्क की स्थापना की है.

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वन अनुसंधान केंद्र द्वारा लगाए गए बोर्ड के मुताबिक, डायनासोर में शाकाहारी व मांसाहारी दोनो प्रजाति मिलती थी. शाकाहारी प्रजाति के ब्राचियोसोरस 26 मीटर यानी 85 लंबे और 62 टन वजन के थे, जो कि जिंको बाइलोबा प्रजाति के वनस्पतियों को भोजन के तौर पर लेते थे. वहीं, शाकाहारी स्पिनोसारस प्रजाति का सिर्फ सिर छह फीट लंबा था. मांसाहारी डायनासोरों में यह सबसे विशालकाय थे. माना जाता है कि यह बड़ी मछलियों को भोजन के तौर पर खाते थे.

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