मुश्किल वक्त में भाजपा के साथ गठबंधन करने को तैयार थे उद्धव, केसरकर बोले- ठाकरे ने रखी थी एक शर्त

मुश्किल वक्त में भाजपा के साथ गठबंधन करने को तैयार थे उद्धव।

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुए एक महीने से अधिक समय बीत चुका है।मुंबई। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुए एक महीने से अधिक समय बीत चुका है। ऐसे में चौंका देने वाले खुलासे हो रहे हैं। एकनाथ शिंदे खेमे के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करने को तैयार थी लेकिन उन्होंने इसके लिए एक शर्त रखी थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दीपक केसरकर ने बताया कि जब शिवसेना के बागी विधायक गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए थे, उस वक्त उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन करने को तैयार थी, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि एकनाथ शिंदे को दूर रखा जाए। हालांकि भाजपा और शिवसेना के बागी विधायकों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

दीपक केसरकर ने मुंबई में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए बताया कि जब हम गुवाहाटी में थे, कुछ नेताओं के माध्यम से बातचीत चल रही थी… उद्धवजी भाजपा के साथ समझौता करने को तैयार थे, लेकिन एकनाथ शिंदे को दूर रखना चाहते थे। लेकिन न तो भाजपा और न ही विधायक ऐसा करने को तैयार थे।

दीपक केसरकर ने कहा कि भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में तत्कालीन मंत्री आदित्य ठाकरे की छवि को खराब करने के प्रयासों से शिवसेना के बहुत से नेता आहत थे। उन्होंने कहा कि जब फर्जी आरोप लगाए गए तो हम सभी आहत हुए थे… चूंकि नारायण राणे, आदित्य ठाकरे की छवि खराब कर रहे थे, मेरे जैसे कई लोग जो ठाकरे परिवार से प्यार करते हैं, परेशान थे। इसे रोकने के लिए मैंने इसे प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की कोशिश की और किसी के जरिए मैंने प्रधानमंत्री मोदी जी से संपर्क किया। मुझे उनकी तरफ से अच्छा रिस्पोंस मिला। उसके बाद मोदीजी और उद्धवजी के बीच बातचीत हुई और बाद में वे मिले भी।

उन्होंने कहा कि नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी-उद्धव ठाकरे की बैठक के बाद जुलाई 2021 में महाराष्ट्र विधानसभा से एक दर्जन भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था, एक ऐसा कदम जिसने शिवसेना और उस समय विपक्षी दल भाजपा के बीच संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया था। दीपक केसरकर ने कहा कि बाद में उद्धव के कट्टर विरोधी नारायण राणे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बाद बातचीत रुक गई, जिससे शिवसेना अध्यक्ष नाराज हो गए।

उन्होंने कहा कि अहंकार के कारण वार्ता आगे नहीं बढ़ी। इसी बीच उद्धव खेमे की सदस्य मनीषा कायंदे का बयान सामने आया। जिसमें उन्होंने दीपक केसरकर को लेकर कहा कि वह हर दिन कुछ नया खुलासा कर रहे हैं। वह विरोधाभासी बयान दे रहे हैं और भ्रमित लगते हैं।

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