एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन बन गई है शिवसेना की राजनीतिक मजबूरी

दिल्लीः

आगामी राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का फैसला लिया है. इस फैसले की घोषणा स्वयं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने की है. सवाल है कि क्या एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन शिवसेना की राजनीतिक मजबूरी बन गई है. क्या इसी राजनीतिक मजबूरी ने शिवसेना को द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के फैसले की ओर कदम बढ़ाने को मजबूर किया है. वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि शिवसेना का यह फैसला भाजपा के लिए एक संकेत है.

हालांकि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को दावा किया कि शिवसेना बिना किसी दबाव के मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर रही है. मंगलवार को उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह यह फैसला अपने विधायकों के दबाव में आकर नहीं कर रहे हैं. लेकिन इसके ठीक इतर यह सब जान रहे हैं कि शिवसेना के भीतर हाल ही में हुए भीतरघात ने शिवसेना को कमजोर बना दिया है. इसकी ताकत में भी कमी आई है. महाराष्ट्र में सत्ता गवाने के बाद शिवसेना के पास बहुत कम विकल्प बच गए हैं.

सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के आवास पर बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पार्टी के 18 शेष सांसदों में से 13 ने बैठक में भाग लिया था. कहा जा रहा है कि बैठक में सांसदों से राष्ट्रपति पद के लिए मुर्मू का समर्थन करने और भाजपा और पार्टी के एकनाथ शिंदे गुट के साथ संभावित सुलह का दरवाजा खोलने का अनुरोध किया गया है.

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