साईं मंदिर के दर्शन के बाद इन जगहों का करें रुख

कहते हैं शिरडी साई के मंदिर में जो मांगों वह पूरा हो जाता है। यही वजह है कि शिरडी साई के भक्तों की संख्या हर साल बढ़ जाती है। शिरडी में देखने के लिए काफी कुछ है।

यहां पर साई मंदिर के साथ ही उनसे जुडे़ कई और मंदिर भी हैं। इसके अलावा उस समय पर जो साई भक्त थे उनके भी यहां पर मंदिर और समाधि है। यहां हम बता रहे हैं कि साई मंदिर के अलावा आप और कहां दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।

1) श्री साईं बाबा संस्थान मंदिर- भारत में फेमल और जरूरी तीर्थस्थल में से एक है ये मंदिर। साईं बाबा को समर्पित, भक्त दर्शन लाइनों, दान काउंटरों, प्रसाद लाइनों, रेलवे बुकिंग काउंटरों से लेकर डाइनिंग हॉल तक इस जगह की सभी सुविधाओं का फायदा उठा सकते हैं। बाबा के मंदिर में कुछ समय बिताने मात्रा से ही आपको शांति मिल सकती है। 

2) शनि शिंगनापुर- शिरडी से 65 किलोमीटर दूर ये गांव महाराष्ट्र के सबसे दिलचस्प गांवों में से एक है ये गांव। यहां पर किसी भी घर या दुकान में कोई दरवाजा नहीं है। यहां के लोगों का मानना ​​है कि उनके भगवान शनेश्वर हमेशा सभी बुराइयों से उनकी रक्षा करते हैं। जो भी लोग शिरडी जाते हैं वह इस मंदिर के दर्शन करने जरूर जाते हैं। 

3) गुरुस्थान- गुरुस्थान पर साईं बाबा पहली बार 16 साल के लड़के के रूप में दुनिया के सामने आए थे। यह जगह नीम के पेड़ के नीचे स्थित है। इसमें एक मंदिर भी है जिस पर साईं बाबा का चित्र शिवलिंगम और उसके ठीक सामने नंदी बैल के साथ रखा गया है। आपको इस जगह पर जरूर जाना चाहिए।


4) द्वारकामाई- शिरडी का दिल कही जाने वाली द्वारकामाई पर साईं बाबा ने अपने अंतिम क्षणों सहित अपने जीवन का एक जरूरी हिस्सा बिताया था। साई मंदिर के दर्शन करने के बाद भक्त इस जगह पर जरूर जाते हैं। 

5) दिक्षित वाडा म्यूजियम- वाडा म्यूजियम श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट के आसपास है जो साईं बाबा की उनके अनुयायियों के साथ पुरानी तस्वीरों को दिखाता है। यहां पर आपको उनसे जुड़ी हर चीज देखने को मिलेगी।

6) चावड़ी- अपने अंतिम सालों के दौरान, साईं बाबा चावड़ी में रातें बिताते थे। यह स्थान द्वारकामाई मस्जिद के पास स्थित है जहां से साईं बाबा का उनके अनुयायियों के साथ एक पालकी में जुलूस निकाला गया था।

7) खंडोबा मंदिर- ये मेन रोड पर है। जो खंडोबा, बनई और म्हालसाई के चिह्नों के साथ बसा है। मंदिर शहर के पीठासीन देवता खंडोबा को समर्पित है।

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