महाकाल मंदिर उज्जैन में शुरू की गई चलायमान भस्मारती दर्शन की व्यवस्था
दिल्लीः विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में नया बदलाव हुआ है। यहां भस्मारती में चलायमान दर्शन की सुविधा शुरू हुई है। करीब छह साल पहले यह व्यवस्था लागू की गई है। सोमवार से इसे शुरू किया गया। बतौर ट्रायल शुरू हुई इस व्यवस्था में करीब पांच हजार लोगों ने दर्शन किए।
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमवार को भस्म आरती में चलायमान व्यवस्था से भक्तों को दर्शन कराए गए। पहले दिन करीब 5 हजार भक्तों ने भगवान के दर्शन किए। मंदिर समिति ने फिलहाल एक सप्ताह के लिए प्रायोगिक तौर पर यह व्यवस्था शुरू की है। इसके बाद दर्शनार्थी, पुजारी, पुरोहित तथा कर्मचारियों के रिव्यू के आधार पर इसे आगे लागू रखने पर निर्णय होगा। बता दें कि महाकाल मंदिर में प्रतिदिन तड़के 4 बजे भगवान महाकाल की भस्म आरती की जाती है। मंदिर समिति प्रतिदिन करीब 1700 भक्तों को 200 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क पर भस्म आरती दर्शन की अनुमति प्रदान करती है। मंदिर समिति ने बिना पंजीयन वाले दर्शनार्थियों के चलायमान दर्शन व्यवस्था लागू की है। सोमवार से सात दिवसीय ट्रायल का शुभारंभ हुआ। पहले ही दिन करीब पांच हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। दर्शनार्थियों को फैसिलिटी सेंटर स्थित वीआईपी द्वारा से मंदिर में प्रवेश दिया गया। यहां से दर्शनार्थी कार्तिकेय मंडपम की आखिरी पंक्ति से दर्शन करते हुए बाहर निकले। मंदिर प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा के बेहतर इंतजाम किए थे। दर्शनार्थी मंदिर में प्रवेश करने के बाद बिना रुके दर्शन करते हुए मंदिर के बाहर निकल गए।
मंदिर प्रशासन का अनुमान है कि पहले दिन ट्रायल सफल रहने पर आने वाले दिनों में दर्शनार्थियों की संख्या और बढ़ेगी। ऐसे में आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं के लिए की जाने वाली सुविधा इंतजामों में विस्तार किया जाएगा। हालांकि चलायमान व्यवस्था के कुछ दर्शनार्थी नाखुश भी नजर आए। उनका कहना था कि यह व्यवस्था अच्छी है, लेकिन इसमें आरती के दर्शन नहीं हो पाते हैं। जो दर्शनार्थी आरती के जिस चरण में भगवान के सामने से गुजरता है केवल उसी भाग के दर्शन होते हैं।