कर्नाटक में अध्यादेश के जरिए धर्मांतरण विरोधी विधेयक लाएगी भाजपा सरकार, विधानमंडल में बहुमत नहीं

दिल्लीः कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का फैसला किया है। दरअसल बोम्मई सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से धर्मांतरण विरोधी कानून लाने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि सत्तारूढ़ दल के पास राज्य विधानमंडल के ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है।

बोम्मई ने गुरुवार को बेंगलुरु में कहा, “चूंकि विधानसभा सत्र जारी नहीं है इसलिए हम धर्मांतरण विरोधी विधेयक को एक अध्यादेश के माध्यम से ला रहे हैं और इसे कैबिनेट (बैठक) में पेश किया जाएगा।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक में 3 जून को शिक्षक एवं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव होने हैं, जो भाजपा को राज्य विधानमंडल के उच्च सदन में बहुमत हासिल करने का मौका देंगे। 

भाजपा पिछले साल दिसंबर में ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021’ पारित करने में कामयाब रही थी। कहा जाता है कि इस बिल का दक्षिणी राज्य में समाज के बहुत ही सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में पारित इसी तरह के कानूनों के आधार पर, कर्नाटक में धर्मांतरण विरोधी विधेयक विधानसभा में ऐसे समय में पारित किया गया था जब राज्य में ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हमलों में वृद्धि हुई है। जिसे कई भाजपा विधायकों ने खुलेआम धर्मांतरण रैकेट का मुख्य अपराधी बताया था।

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