दक्षिण अफ्रीका के डरबन में भीषण बाढ़ में सैकड़ों मरे

दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में “असामान्य” बाढ़ से मरने वालों की संख्या गुरुवार को 341 हो गई है. बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए डरबन शहर में हेलीकॉप्टरों की मदद ली जा रही है.डरबन में इस सप्ताह भीषण बारिश से सड़कें और पुल बह गए. शहर में बचाव दल आपूर्ति पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. शहर के कुछ लोग सोमवार से ही बिजली और पानी के बिना रहने को मजबूर हैं. क्वाजुलु-नताल (केजेडएन) राज्य के मुख्यमंत्री सिहले जिकलाला ने कहा, “राज्य में इंसानी जीवन, बुनियादी ढांचे और सेवा वितरण नेटवर्क की तबाही का स्तर अभूतपूर्व है” बाढ़ पीड़ितों की तलाश में हेलीकॉप्टर डरबन के आसमान पर मंडरा रहे हैं.

जिकलाला ने पत्रकारों से कहा, “कुल 40,723 लोग प्रभावित हुए हैं. अफसोस की बात यह है कि 341 मौतें दर्ज की गई हैं” दक्षिण अफ्रीका के मौसम विभाग ने इसे देश के इतिहास की सबसे भीषण आपदाओं में से एक बताया है. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि कई इलाकों में एक ही दिन में इतनी बारिश हुई जितनी एक महीने में होती है. राष्ट्रपति सिरील रामफोसा ने राष्ट्र के नाम एक संदेश में कहा, “आप इतिहास की सबसे भीषण आपदाओं में से एक का सामना कर रहे हैं” राष्ट्रपति ने एक दिन पहले बाढ़ प्रभावित शहर का दौरा किया था. पीड़ितों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आप अकेले नहीं हैं, हम आपकी मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे.

हमारे दिल टूट गए हैं. लेकिन हम आपके साथ हैं” प्रभावित क्षेत्रों के अधिकांश घर लोहे और लकड़ी के बने हैं जो पानी के तेज बहाव को सहन नहीं कर सके. अधिकांश जगहों पर सड़कें बह गई हैं, जगह-जगह पेड़, बिजली और टेलीफोन के खंभे उखड़ गए और बुनियादी ढांचा पूरी तरह से नष्ट हो गया है. हालांकि सरकार ने अब तक यह संकेत नहीं दिया है कि बाढ़ की वजह से कितने लोग लापता हुए हैं. जिकलाला ने कहा कि तबाही से भरपाई के लिए लाखों डॉलर खर्च होंगे. कुछ लोगों ने सरकारी सहायता नहीं मिलने की भी शिकायत की है. उनका कहना है कि सरकार ने उन्हें असहाय छोड़ दिया है और स्थानीय संगठनों के वालंटियर उनकी मदद कर रहे हैं. वहीं अधिकारियों ने बताया कि 17 राहत शिविर बनाए गए हैं जिनमें 2,100 विस्थापित लोगों के ठहरने की व्यवस्था है. पांचवें दिन बिजली और पानी की आपूर्ति ठप्प रहने के कारण डरबन के गरीब लोगों को टूटी पाइपलाइन से पानी लेने के लिए कतार में खड़ा होना पड़ा और कुछ मलबे में दबे अपने कीमती सामान की तलाश करते दिखे.

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