चुनावी मैदान में न मुख्तार, न अतीक

दिल्लीः UP के दो डॉन- मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद, विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। हैरानी तो ये कि कोर्ट से चुनाव लड़ने की इजाजत मिलने के बाद भी मुख्तार ने मैदान छोड़ दिया है।

मऊ सदर से सपा के पूर्व प्रत्याशी अल्ताफ अंसारी ने निर्दलीय नामांकन कर रखा है। इस बार उन्हें सपा से टिकट नहीं मिला था। पिछली बार अल्ताफ घोसी से चुनाव लड़े थे। अल्ताफ के मैदान में होने से मुख्तार के लिए मुकाबला और टफ हो रहा था।

चुनाव हारने का भी खतरा बढ़ गया था। सपा के एक बड़े नेता ने बताया कि पार्टी यदि मुख्तार अंसारी को टिकट देती तो इसका सीधा असर पूरे पूर्वांचल पर होता। BJP, जो कि सपा पर कानून- व्यवस्था को लेकर पहले से ही हमलावर है, को और आक्रामक होने का मौका मिल जाता।

चुनाव आयोग की सख्ती भी एक बड़ी वजह बनती। आयोग ने नियम बना रखा है कि पार्टियों को दागी प्रत्याशियों पर चल रहे मामलों का खुलासा तुरंत करना होगा। इसके लिए अखबारों में विज्ञापन देने तक के निर्देश हैं। इससे सपा की स्थिति कमजोर होती। BJP हमलावर होती तो इसका असर पूर्वी UP की करीब 100 सीटों पर पड़ता

मुख्तार की जगह उनके बेटे को टिकट देने से सारे समीकरण सेट रहते। हालांकि, BJP की ओर से प्रचार किया भी जा रहा है कि बाप और बेटे में अंतर क्या है?

UP के वरिष्ठ पत्रकार परवेज अहमद का कहना है कि एक वजह ये भी है कि मुख्तार पर कई संगीन मुकदमे चल रहे हैं। ऐसे में उनका नामांकन रद्द होने का भी खतरा था, जिसको देखते हुए मुख्तार ने अपने कदम पीछे खींच लिए।

कहा जा रहा है कि विधायक मुख्तार अंसारी ने अपनी सियासी विरासत अपने बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी है और पर्दे के पीछे से किंगमेकर की भूमिका अपना ली है।

अब्बास इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मऊ सदर सीट से मैदान में हैं। इसका समाजवादी पार्टी से गठबंधन है। अब्बास 2017 में घोसी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। BJP के फागू चौहान ने उनको हराया था।

नामांकन करने के बाद अब्बास ने मीडिया से कहा कि हमें भनक थी कि BJP सरकार साजिश करके मुख्तार का पर्चा खारिज करा देगी।

इसे देखते हुए हमें दूसरा रास्ता अख्तियार करना पड़ा। इस सीट से मुख्तार पांच बार विधायक रह चुके हैं।

मुख्तार की कसक को इससे समझा जा सकता है कि वह इस बार भी चुनाव लड़ने को तैयार थे। कोर्ट से इसकी इजाजत भी मिल गई थी।

उनके वकीलों ने नॉमिनेशन फॉर्म के दो सेट भी खरीद लिए थे, लेकिन बाद खबर आई कि अंसारी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

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