नीतीश कुमार ने फिर क्यों छेड़ दिया विशेष राज्य के दर्जे का राग

राज्य की डिप्टी सीएम और बिहार की नेता रेनू देवी ने शनिवार को ही कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा मांगने का कोई अर्थ नहीं है और इस दावे को लेकर कोई विस्तृत जानकारी भी नहीं है। उनके इस बयान पर नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए ही निशाना साधा है।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग सीएम नीतीश कुमार लंबे समय से करते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वक्त से वह इसे लेकर शांत थे। अब एक बार फिर से उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है और कहा कि यह बिहार की जरूरत है।

राज्य की डिप्टी सीएम और बिहार की नेता रेनू देवी ने शनिवार को ही कहा था कि विशेष राज्य का दर्जा मांगने का कोई अर्थ नहीं है और इस दावे को लेकर कोई विस्तृत जानकारी भी नहीं है। उनके इस बयान पर नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए ही निशाना साधा है।

नीतीश कुमार ने कहा कि यदि राज्य में कोई स्पेशल स्टेटस की डिमांड का विरोध करता है तो संभव है कि उसे मुद्दे की जानकारी ही न हो। यदि बिहार को केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा देती है तो फिर केंद्रीय योजनाओं की फंडिंग में उसकी हिस्सेदारी 90 फीसदी की होगी, जबकि राज्य सरकार को 10 पर्सेंट खर्च ही उठाना होगा।

पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के राज्यों को यह दर्जा प्राप्त है, लेकिन अन्य किसी मैदानी राज्य को ऐसा कोई स्टेटस नहीं मिला है। गैर विशेष राज्यों में चलने वाली केंद्रीय स्कीमों की फंडिंग में केंद्र और राज्य सरकार के खर्च का अनुपात 60:40 या फिर 80:20 रहता है।

संविधान में किसी भी राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने का प्रावधान नहीं है, लेकिन दुर्गम पहाड़ी राज्यों, ऐतिहासिक कारणों, अधिक आदिवासी आबादी अथवा कम जनसंख्या, रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण, आर्थिक और ढांचागत पिछड़ापन जैसे कारणों के आधार पर यह स्टेटस दिया जाता रहा है।

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