द्वितीयं-ब्रह‍्मचािरणी

नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह‍्मचारिणी मां का पूजन किया जाता है। यह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। यहां ब्रह्म शब्द का रूप तपस्या है। ब्रह‍्मचारिणी अर्थात‍् तप का आचरण करने वाली।

पूर्व जन्म में हिमालय की पुत्री के रूप में इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हज़ार साल कठिन तपस्या की। इस तपस्या से तीनों लोक कांप उठे।

तब ब्रह‍्माजी ने आकाशवाणी द्वारा प्रसन्न मुद्रा में उनसे कहा, हे ‘देवी! आज तक किसी ने भी ऐसी कठोर तपस्या नहीं की, जैसी तुमने की है।

जाओ, तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। भगवान शिव तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे।’ उनके आशीर्वाद से मां को पति रूप में शंकर जी मिले।

भक्तगण उनकी भक्ति करते हुए इस श्लोक को पढ़ते हैं-

‘दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।’

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker