डंप का खेल दम से, डीएम का फरमान फेल

बांदा,संवाददाता। मंडल मुख्यालय बांदा में दम से हो रहा है डंप का खेल। डीएम का फरमान फेल नजर आ रहा है। यह अंधेरगर्दी पिछले 7 दिनों से चल रही है। सिर्फ ओवर लोड ट्रकों की चेकिंग और धर पकड़ में सीमित संबंधित विभाग डंप की तरफ से नजर फेरे हुए हैं।

जून से 30 सितंबर तक खदानों में खनन बंद रहता है। यह पर्यावरण विभाग की एनओसी की शर्त है। पहली अक्टूबर से फिर खदानें आबाद होतीं हैं।

इस दौरान 4 माह बालू ठेकेदार डंप की गई बालू खदान से ज्यादा कीमत पर बेचते रहते हैं। पूर्व डीएम आनंद कुमार सिंह ने कई बार ठेकेदारों और खनिज विभाग की बैठकों तथा मीडिया को जारी विज्ञप्ति में खबरदार किया था कि 30 सितंबर तक 90 फीसदी डंप की निकासी हो जाना चाहिए।

वरना इस तिथि के बाद डंप स्थल पर मौजूद बालू जब्त कर ली जाएगी। पूर्व डीएम के जाने के बाद शायद उनका यह आदेश भी ठंडे बस्ते में चला गया। 30 सितंबर से एक हफ्ता बीत चुका है और डंप के ढेर बरकरार हैं।

उनसे रात-दिन ट्रक अंडर और ओवर लोड हो रहे हैं। खदानों की आड़ में डंप बालू बेची जा रही है। उपभोक्ताओं को बालू की कीमत ज्यादा देनी पड़ रही है।

गिरवां क्षेत्र और सदर तहसील के लामा, पपरेंदा, लुकतरा, कनवारा, अतरहट, पैलानी आदि गांवों के आसपास डंप नजर आ रहे हैं। दूसरे राज्यों की बड़ी कंपनियां भी डंप के खेल में मसरूफ हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी आशीष सागर दीक्षित का कहना है कि अक्टूबर में भी डंप सिस्टम की पोल खोल रहा है।

जिला खनिज अधिकारी सौरभ गुप्ता का कहना है कि डीएम के निर्देश पर लगातार संयुक्त चेकिंग हो रही है। कहीं अवैध और नियम विरुद्ध खनन या डंप नहीं होने दिया जाएगा।

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