क्या अब हाउस टैक्स में नहीं मिलेगी रियायत?

उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में हाउस टैक्स से राहत के दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव सीएम की घोषणा होने के बावजूद लटक गए हैं।

इसमें एक प्रस्ताव जेसीओ रैंक से ऊपर के सभी सैन्य अधिकारियों को भी पूर्व की तरह हाउस टैक्स से पूरी राहत देने और दूसरा प्रस्ताव नगर निकायों में 2018 के बाद शामिल इलाकों के कमर्शियल भवनों को भी आवासीय भवनों की तरह टैक्स से दस साल तक छूट देने का है।

कोविड के चलते पिछले साल निकायों की हाउस टैक्स से होने वाली आय घटी है, जबकि इस दौरान खर्चे बढ़े है।  

उत्तराखंड में पहले सभी रैंक के सैनिकों को हाउस टैक्स में छूट मिलती थी। बाद में नगर निकायों की कमजोर वित्तीय स्थिति को देखते हुए सितंबर 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में इसमें बदलाव कर दिया गया।

कैबिनेट प्रस्ताव के जरिए उक्त छूट सिर्फ जेसीओ रैंक से नीचे के सैनिकों, पूर्व सैनिकों के साथ सैन्य विधवाओं तक सीमित कर दिया गया।

पूर्व सैनिकों की मांग पर बाद में तत्कालीन सीएम ने पुन: हाउस टैक्स छूट सभी रैंक के लिए जारी रखने की घोषणा तो की पर उस पर अब तक अमल नहीं हुआ।

सूत्रों के अनुसार, सैनिक कल्याण निदेशालय ने इसके लिए शहरी विकास विभाग को प्रस्ताव तो भेजा लेकिन सरकार की ओर से इसके एवज में प्रतिपूर्ति को लेकर ठोस आश्वासन नहीं मिलने पर विभाग ने उक्त प्रस्ताव लौटा दिया है।

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