तीन साल बाद भी नहीं खुले मेडिकल टीचर्स के पेंशन खाते

भोपाल। मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पेंशन की राशि को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नेशनल पेंशन स्कीम के तहत मेडिकल टीचर्स का पैसा पेंशन अकाउंट में जमा होना था लेकिन 2018 से नियम लागू होने के बावजूद अबतक मेडिकल टीचर्स का पेंशन अकाउंट नहीं खोला गया जिसके चलते मेडिकल टीचर्स अपनी राशि को लेकर डरे हुए हैं।

मध्यप्रदेश के प्रोग्रेेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक, प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों में करीब 2300 मेडिकल टीचर्स के सामने दुविधा है कि उनकी बेसिक सैलरी से हर महीने दस प्रतिशत राशि काटी जाती है और इतनी राशि सरकार जमा करवाती है।

निगम के मुताबिक, ये राशि पेंशन अकाउंट में जमा होनी चाहिए लेकिन दुविधा है कि मेडिकल टीचर्स का अब तक पेंशन खाता ही नहीं खुल सका है।

इस पूरे मामले में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि 2005 में सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम बनाई थी।

इसके तहत शासकीय कर्मियों का पेंशन खाता खोला जाता है और उसका नंबर कर्मचारी को दिया जाता है।

मध्यप्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 2018 में आदेश निकालकर कर्मचारियों और मेडिकल टीचरों के लिए नियम लागू कर दिया था, लेकिन तब से लेकर अब तक मेडिकल कॉलेजों के टीङ्क्षचग और नॉन टीचिंग स्टाफ को प्रान नंबर उपलब्ध नहीं करवाये गए हैं।

डॉ. मालवीय ने दावा किया कि इससे 2300 मेडिकल टीचर्स के अलावा हजारों की संख्या में नर्सिंग स्टाफ, टेक्निशियन, पैरामेडिकल स्टाफ, क्लास तीन और क्लास चार कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर, शहडोल, दतिया, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, खंडवा, रतलाम और विदिशा में मेडिकल कॉलेज हैं।

कोरोना की दोनों लहरों में बड़ी संख्या में डॉक्टर भी शहीद हुए। ऐसे में उनके  परिजनों के सामने समस्या आ रही है कि पेंशन खाते में राशि ही जमा नहीं हुई तो लाभ कैसे मिले।

ऐसी ही एक शिकायत पर इंदौर की डॉक्टर पूनम रायकवार की है जिनके पति डॉक्टर रामशरण रायकवार की अप्रैल 2021 में कोरोना से मौत हो गई थी।

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