सीआरपीएफ बंकर के पास मिले छह ग्रेनेड, अलर्ट पर सेना

0-श्रीनगर में बड़े हमले की साजिश नाकाम
श्रीनगर। श्रीनगर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बेमिना इलाके में आज संदिग्ध परिस्थितियों में सीआरपीएफ की 28वीं बटालियन के च्कि एक्शन टीम के बंकर के पास छह ग्रेनेड मिले। इस घटना के बाद सेना अलर्ट हो गई है और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। वहीं ग्रेनेड देखे जाने के तुरंत बाद ही इसकी सूचना बम निष्क्रिय दस्ते को दी गई। यह सभी चीन निर्मित ग्रेनेड हैं।

जवानों की सूझबूझ से बड़ी आतंकी साजिश नाकाम हो गई है। पुलिस ने सभी ग्रेनेड अपने कब्जे में ले लिए है।


उधर, कश्मीर में हाईब्रिड आतंकियों की मौजूदगी ने सुरक्षाबलों के कान खड़े कर दिए हैं। सुरक्षाबलों के लिए यह नई चुनौती है।

स्लीपर सेल की तरह के ये पार्ट टाइम आतंकी निहत्थों को निशाना बना रहे हैं। कश्मीर में हाल ही में हुईं नेताओं व पुलिसकर्मियों की हत्याओं में हाईब्रिड आतंकी शामिल थे।

इन पार्ट टाइम हाईब्रिड आतंकियों को ट्रैक करने में दिक्कतें आती हैं क्योंकि ये वारदात को अंजाम देने के बाद अपने सामान्य कामकाज में लग जाते हैं। लेकिन ऐसे हाईब्रिड आतंकियों पर अब पूरी निगरानी रखी जा रही है।


श्रीनगर समेत घाटी में पिछले कुछ सप्ताह में साफ्ट टारगेट को निशाना बनाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। ये घटनाएं ऐसे पिस्तौल धारी युवकों की ओर से करवाई गई है जो सुरक्षा एजेंसियों की सूची में आतंकी के रूप में नहीं हैं।

ऐसे आतंकियों को खोजना मुश्किल होता है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हाईब्रिड आतंकियों को हैंडलर्स की ओर से आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए स्टैंडबाय में रखा जाता है।

वह दिए गए टास्क को पूरा करने के बाद नए टास्क का इंतजार करते हैं। इस बीच वह अपने सामान्य कामकाज को करने लगते हैं।


रविवार को श्रीनगर में पुलिस सब इंस्पेक्टर अर्शीद अहमद पर भी इसी तरह का हमला हुआ जिसमें एक आतंकी ने पिस्टल से अर्शीद अहमद पर कई राउंड फायरिंग की। पुलिस का दावा है कि आतंकी की पहचान कर ली गई है।


गौर हो कि हाईब्रिड आतंकी वे हैं जो सुरक्षाबलों की सूची में नहीं है। ये स्लीपर सेल की तरह ही इन युवाओं को पार्टटाइम आतंकी बनाया गया है।

लेकिन इन्हें बरगलाकर इस तरह का कट्टरपंथी बनाया जाता है कि हैंडलर की ओर से सौंपे गए टास्क के तहत हमले कर सकते हैं। इसके बाद वे अपने सामान्य कामकाज में जुट जाते हैं। इन्हें पहचानने में दिक्कतें आती हैं।

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