राज गुरु भारत मां के सच्चे सपूत थे रूडा०भवानीदीन

हमीरपुर;आरएनएसद्ध। वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत साहस और समर्पण के साक्षी शिवराम हरि राजगुरु की जयंती पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने श्रद्धान्जलि अर्पित करते हुये कहा कि राजगुरु सही मायने मे भारत मॉ के समर्पित सूरमा थेएजिनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होने राजगुरु की जीवन शैली का बखान करते हुए कहा उनका जन्म 24 अगस्त 1908 के पुणे के खेडा गांव बाम्बे प्रेसीडेन्सी मे हरिनारायण के घर हुआ थाए मां का नाम पार्वती बाई थाएइनके अलावा दो भाई और दो बहनें और थीएये जब छ वर्ष के थे।

इनके पिता नहीं रहे थे।ये कम उम्र मे वाराणसी संस्कृत का अध्ययन करने चले गये थेए यहीं पर इनका कई क्रातिकारियों से परिचय हुआ थाएये व्यायाम मे माहिर थेएशिवाजी की छापामार युद्ध शैली मे राजगुरु की रुचि थीएये चन्द्रशेखर आजाद से अधिक प्रभावित थेए यही कारण था कि राजगुरु सोलह वर्ष की आयु मे 1924 मे आजाद के क्रातिकारी संगठन हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन मे शामिल हो गये थे।

इनका पार्टी का छद्म नाम रघुनाथ था।एइन्होंने कम उम्र मे ही देश के लिए बहुत काम किया। 1928 का सान्डर्स वध हो या 1929 असेंबली बम कान्ड रहा हो।

राजगुरु की प्रभावी भूमिका रही थीए ये भगतसिंह और यतीन्द्र नाथ दास के भी अच्छे मित्र थेएये 1929 मे पुणे से गिरफ्तार किये गयेए अंग्रेजों ने न्याय का नाटक कर 23 मार्च 1931 को भगतसिंह और सुखदेव के साथ राजगुरु को मात्र 22 वर्ष की उम्र मे फासी पर लटका दिया।

ये अमरहोता हो गये।कार्यक्रम मे अवधेश कुमार एडवोकेटए राजकुमार सोनी सर्राफए रामशरण शिवहरेए वृन्दावन गुप्ताए अशोक अवस्थीए रमेश चंद्र गुप्ता और आयुष आदि शामिल रहे।

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