समय की कीमत

एक गरीब किसान की दयनीय अवस्था से द्रवित होकर महात्मा जी ने उसे एक कुदाल देते हुए कहा, ‘आजकल बुआई का मौसम है। इस कुदाल से खेत को खोद कर बीज डाल देना। तुम्हारे खेत सोना उगलेंगे लेकिन याद रहे पन्द्रह दिन बाद मैं अपनी कुदाल वापस ले जाऊंगा।’ किसान ने घर आकर यह बात अपनी पत्नी को बताई तो वह भी बहुत प्रसन्न हुई।

अगली सुबह जब पत्नी ने किसान को खेत में चलने के लिए कहा तो वह टालते हुए बोला कि अभी तो बहुत दिन पड़े हैं, जल्दी क्या है खेत खोदने की। समय बीतता गया। पन्द्रह दिन बाद महात्मा जी अपनी कुदाल लेने आ पहुंचे तो किसान उनसे कुछ दिन और देने की बात कह कर गिड़गिड़ाने लगा।

महात्मा बोले, ‘यह कोई जादुई कुदाल नहीं है। मैंने तुम्हें समय का सदुपयोग सिखाने के लिए यह कुदाल दी थी, यदि तुम समय पर काम नहीं करोगे तो कभी भी अपनी ग़रीबी दूर नहीं कर सकते, किसान को महात्मा जी की बात समझ में आ गई और उसने समय पर काम पूरा करने का प्रण लिया।

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