सीएम तीरथ सिंह रावत ने दिया इस्तीफा, बैठक में चुना जाएगा नया मुख्यमंत्री

देहरादून : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को उन्होंने अपना इस्तीफा सौंपा। उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला शनिवार को विधानमंडल की बैठक में होगा। उनके साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ कई मंत्रिमंडल के सदस्य और विधायक भी थे। इससे पहले सीएम तीरथ सिंह रावत ने सीएम पद से इस्तीफे की घोषणा पत्रकार वार्ता में तो नहीं की, लेकिन अपनी उपलब्धियां जरूर गिनाई थीं। सूत्रों की मानें तो भाजपा हाईकमान इसबार मौजूदा विधायकों के बीच में से ही किसी विधायक को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपने के मूड में है।

सीएम तीरथ के इस्तीफे के बाद नये मंत्रिमंडल गठन को लेकर नये सिरे से माथापच्ची होगी। नये मुख्यमंत्री के साथ ही नया मंत्रिमंडल भी शपथ लेगा। नये मंत्रिमंडल में कौन चेहरे होंगे। कुछ नये चेहरे आएंगे, या फिर कुछ पुराने चेहरे ड्राप होंगे, इस पर नये सिरे से विचार मंथन होगा। नये सीएम पूरे मंत्रिमंडल के साथ शपथ लेंगे या चंद मंत्रियों के साथ ये भी देखने वाली बात रहेगी। हालांकि चुनावी साल होने के कारण मंत्रिमंडल में बदलाव की संभावनाएं कम ही हैं। त्रिवेंद्र सरकार में मंत्रियों के तीन पद खाली रहे। वे पद तीरथ रावत सरकार में जाकर भरे।

अब नये सीएम को एक बार फिर नये सिरे से मंत्रिमंडल को विस्तार देने को विधायकों में से मंत्रियों का चयन करना होगा। हालांकि नये सीएम और मंत्रिमंडल के पास समय बहुत अधिक नहीं है। बामुश्किल छह महीने के भीतर सीएम और मंत्रियों को परफॉर्म करना होगा। ऐसे में संभावना ये भी है कि मंत्रिमंडल में बहुत अधिक छेड़छाड़ भी न हो। मौजूदा मंत्रिमंडल के साथ ही सीएम शपथ लें।उत्तराखंड में गंगोत्री और हल्दवानी विधानसभा सीटें मौजूदा विधायकों की मौत की वजह से खाली हैं। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2022 में खत्म होगा।

इसका मतलब है कि इस विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में 9 महीने ही बचे हैं। वहीं, लोकसभा सदस्य तीरथ सिंह रावत ने दस मार्च को सीएम पद की शपथ ली थी। ऐसे में उन्हें शपथ लेने के छह माह के भीतर विधायक बनना जरूरी है। अगर ऐसे देखा जाए तो 9 सितंबर के बाद मुख्यमंत्री पद पर तीरथ सिंह रावत के बने रहने संभव नहीं है। अब, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 ए के तहत, उस स्थिति में उप-चुनाव नहीं हो सकता, जहां आम चुनाव के लिए केवल एक साल बाकी है।

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