सहज हो सकते हैं तालिबान और भारत के संबंध

काबूल/नई दिल्‍ली। अमेरिकी सैनिकों की वापसी की उलटी गिनती के साथ अफगानिस्‍तान में हालात तेजी से बदल रहे हैं। अफगानिस्‍तान के करीब 370 जिलों में 50 पर तालिबान का कब्‍जा है। इन जिलों में तालिबान की समानांतर सरकार चल रही है।

अफगानिस्‍तान के ताजा राजनीतिक हालात ऐसे हैं, जिसमें तालिबान को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। यह उम्‍मीद की जा रही है कि सरकार के गठन में तालिबान की प्रमुख हिस्‍सेदारी होगी।

ऐसे में भारत ने अपने दृष्टिकोण में बदलाव किया है। यही वजह है कि भारत ने तालिबान के साथ रिश्‍तों को सामान्‍य करना शुरू कर दिया है। भारत के इस कदम से पाकिस्‍तान में खलबली मची है। आइए जानते हैं कि भारत और तालिबान से कैसे रहे रिश्‍ते। तालिबान और भारत के निकट रिश्‍तों में पाक को मिर्ची क्‍यों लगी है।

प्रो. हर्ष पंत का कहना है हाल में भारत ने तालिबान से राजनयिक संबंध बनाने की पहल की है। यह भारतीय हितों के लिए जरूरी है। भारत की यह पहल समय की जरूरत है। भारत ने तालिबान के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव किया है।

यह समय की मांग के अनुरूप है। उन्‍होंने कहा कि अफगानिस्‍तान में जिस तरह के हालात हैं, उसमें तालिबान को पूरी तरह से खार‍िज नहीं किया जा सकता है।

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