गोरखपुर में किसी अस्‍पताल या डाक्‍टर को कोरोना की नहीं दी जाएंगी दवाएं, जानें वजह

लंबी प्रतीक्षा के बाद कोरोना की दो दवाएं गुरुवार को दवा की थोक मंडी भालोटिया मार्केट में पहुंच गई हैं। रेमडेसिविर व टाक्लीजूमैप इंजेक्शन की उपलब्धता से कोरोना मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। ये दोनों इंजेक्शन डॉक्टर के पर्चे पर केवल मरीजों या उनके तीमारदार को दिए जाएंगे। सरकारी या निजी अस्पतालों में इनकी आपूर्ति नहीं की जाएगी। दवा विक्रेता समिति ने प्रिंट मूल्य से कम में दवा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

जिला प्रशासन की अनुमति के बाद ही अस्‍पताल को देंगे दवाएं

इन दोनों इंजेक्शनों की आपूर्ति सरकारी या निजी अस्पतालों या डॉक्टरों को तभी की जाएगी, जब जिला प्रशासन से वे अनुमति लेकर आएंगे। आम मरीजों को यह दवा लेने के लिए एक फार्म भरना होगा और साथ ही उन्हें आधार कार्ड, कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट व डॉक्टर का पर्चा लेकर आना होगा।

दवाओं की कीमत

रेमडेसिविर इंजेक्शन का खुदरा मूल्य 4000 और टाक्लीजूमैप इंजेक्शन की कीमत 40,545 रुपये है। दवा विक्रेता समिति ने दोनों दवाओं को क्रमश: 3600 व 33,000 रुपये में मरीजों को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

क्या है डोज

जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. बीके सुमन ने बताया कि टाक्लीजूमैप का दो डोज व रेमडेसिविर के छह डोज के लिए कंपनी ने सलाह दी है। अभी दवा अस्पताल में नहीं आई है। आने के बाद ही इसके बारे में कुछ और बताया जा सकता है।

प्रांतीय व राष्ट्रीय नेतृत्व की मदद से गोरखपुर में दवा मंगाई

दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया का कहना है कि प्रांतीय व राष्ट्रीय नेतृत्व की मदद से गोरखपुर में दवा मंगाई गई है। हालांकि दवाएं महंगी होने के नाते अभी पर्याप्त मात्रा में नहीं मंगाई गई हैं। मांग आने पर दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी।

कमिश्नरी व जिलाधिकारी कार्यालय में कराया छिड़काव

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए नगर निगम की सक्रियता तेज हो गई है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश रस्तोगी के नेतृत्व में मंडलायुक्त कैम्प कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय समेत समेत शहर के प्रमुख स्थलों को सैनिटाइज कराया गया। महानगर में हॉट-स्पॉट की संख्या बढ़कर 138 हो गई है। इसके चलते नगर निगम को अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाना पड़ रहा है।

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