सुहागन अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और संतान के कल्याण के लिए रखती हैं मंगला गौरी व्रत

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि, दिन मंगलवार है। सावन में हर मंगलवार को मां मंगला गौरी की पूजा होती है। ऐसे में आज सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत है। आज सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और अपने संतान के कल्याण के लिए मां मंगला गौरी का व्रत रखती हैं तथा विधिपूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। आइए जानते हैं आज के दिन होने वाले मंगला गौरी व्रत की विधि, पूजा मंत्र, ​कथा, शुभ मुहूर्त आदि के बारे में।

आज का शुभ समय

सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात:काल 05:33 से दोपहर 02:07 बजे तक।

अमृत सिद्धि योग: प्रात:काल 05:33 से दोपहर 02:07 बजे तक।

अमृत काल: प्रात:काल 06:03 से सु​ब​ह 07:51 बजे तक।

अभिजित मुहूर्त: दिन में 11:59 से दोपहर 12:55 बजे तक।

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 से दोपहर 03:40 बजे तक।

मंगला गौरी व्रत एवं पूजा विधि

सुबह में स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहन लें। इसके पश्चात आज के मंगला गौरी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। अब पूजा स्थान पर मंगला गौरी की तस्वीर या मूर्ति को एक चौकी पर लाल कपड़े पर स्थापित कर दें। इसके बाद माता का धूप, दीप, पुष्प, अक्षत् आदि से षोडशोपचार पूजन करें।

इसके बाद माता को 16 श्रृंगार की वस्तुएं जैसे सिंदूर, मेंहदी, चूड़ी, चुनरी, साड़ी आदि अर्पित करें। मां गौरी को फल एवं मिठाई आदि भी चढ़ाएं। इन सभी वस्तुओं को अर्पित करते समय महागौरी मंत्र का जाप करें तो उत्तम होगा। अब भगवान शिव का जलाभिषेक करते हुए भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि अर्पित करें। इसके बाद मंगला गौरी की व्रत कथा का पाठ करें तथा अंत में मां मंगला गौरी की आरती करें। पूजा के पश्चात प्रसाद परिजनों में वितरित कर दें और मात को भेंट की गई वस्तुएं किसी ब्राह्मण को दान कर दें।

महागौरी मंत्र

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।

शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

मंगला गौरी व्रत कथा

एक समय एक नगर में धर्मपाल सेठ अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसकी कोई संतान नहीं है। इसके लिए उसने पूजा पाठ, दान और धार्मिक कार्य किए, जिसके परिणाम स्वरूप उसे एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

जब पंडितों ने उसकी कुंडली देखी तो चकित रह गए। वह अल्प आयु का था। पंडित ने बताया कि 16 वर्ष में सर्प दंश से उसकी मृत्यु का योग है। सेठ इस बात को भूल गया और 16 वर्ष से पहले ही उसकी एक कन्या से विवाह करा दिया।

उस कन्या की माता हर वर्ष श्रावण माह में मंगला गौरी का व्रत रहती थी। उसके प्रभाव से उसकी पुत्री को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त था। इस कारण धर्मपाल का बेटा दीर्घ आयु वाला हो गया। मां मंगला गौरी के व्रत के प्रभाव से उसका मृत्यु योग टल गया।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker