नवरात्र के दिनों में देवी माँ भवानी की विधि-विधान से करे पूजा, देवी प्रसन्न होकर करेगी कल्याण
नवरात्र के अवसर पर देवी भवानी की उपासना का विधान है। नवरात्र के पहले से दिन से माता की पूजा प्रारंभ हो जाती है और नवरात्र की नवमी तिथि तक देवी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। उसके बाद माता की भावमयी विदाई की जाती है और हवन सामग्री, जवारे ,नारियल आदि को विसर्जित कर दिया जाता है। नवरात्र के पहले दिन माता की प्रतिमा की स्थापना और कलश स्थापित करने के शास्त्रोक्त नियम है इनका पालन करने से देवी आराधना का पूरा फल प्राप्त होता है।
नवरात्र में कलश और देवी प्रतिमा की स्थापना करने से पहले सभी पूजन सामग्री को इकट्ठा करने के बाद सप्तर्षि, सप्तचिरंजीव, नवग्रह, वास्तु, मातृका, 64 योगिनी, 50 क्षेत्रपाल आदि की पूजा की जाती है। सुगंधित धूपबत्ती और अखंड दीपक मां की प्रतिमा के सामने जलाया जाता है। मूर्ति स्थापना में सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर कुशा या ऊन का लाल आसन ग्रहण करें। स्वच्छ वस्त्र या सोला धारण कर पूजा में बैठे। आसन ग्रहण करने के बाद तीन बार शुद्ध जल से आचमन करे।
ओम केशवाय नम:
ओम माधवाय नम:
ओम नारायणाय नम:
उसके बाद हाथ में जल लेकर हाथ स्वच्छ कर लें। अब दाहिने हाथ में चावल और फूल लेकर अंजुरि बांध ले और देवी का ध्यान करें।
आगच्छ त्वं महादेवि। स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करिष्यामि तावत त्वं सन्निधौ भव।।
श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:। दुर्गादेवी-आवाहयामि – माता को पुष्प और चावल चढ़ाएं।
श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम: आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि।- माताजी को आसन समर्पित करें।
श्री दुर्गादेव्यै नम: पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि। – आचमन लें।
श्री दुर्गा देवी दुग्धं समर्पयामि – दूध चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी दही समर्पयामि – दही चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी घृत समर्पयामि – घी चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी मधु समर्पयामि – शहद चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी शर्करा समर्पयामि – शक्कर चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी पंचामृत समर्पयामि – पंचामृत चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी गंधोदक समर्पयामि – गंध चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि – जल अर्पित करें।
श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि – वस्त्र समर्पित करें।।
श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य-सूत्र अर्पित करें।
श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ स्वच्छ कर भगवती को भोग समर्पित करें।
श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- मााता को ऋतुफल समर्पित करें।
श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि। पान, सुपारी, लौंग, इलायची मां को चढ़ाएं।
देवी को सभी वस्तुएं समर्पित करने के बाद दुर्गा देवी की आरती करें।