कोरोना वायरस के कहर से मई, जून में फलों के राजा आम के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में खौफ का माहौल है. आलम यह है कि इससे फलों का राजा कहने जाने वाला आम भी अछूता नहीं रह गया है. भारतीय आमों की मांग अमेरिका और खाड़ी से लेकर यूरोपीय देशों तक में है.
इन हिस्सों में रहने वाले भारतीयों को इस मौसम में आम का बेसब्री से इंतजार रहता है. आम का सीजन आ गया है. मगर कोरोना वायरस के चलते इन देशों में आम की सप्लाई बाधित हो रही है. इससे आम किसानों और व्यापारियों पर असर पड़ा और उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक कुल प्रोडक्शन का 40 फीसदी आम विदेशों में निर्यात कर दिया जाता है. अभी आम का सीजन शुरू ही हुआ है और मुंबई के एपीएमसी मार्केट में रोजाना तीन से चार हजार आम की पेटियां आ रही हैं.
जब सीजन पीक पर होगा तो इस मार्केट में रोजाना आम के करीब एक लाख बॉक्से आएंगे. लेकिन निर्यात न होने की वजह से आम के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा. देश में जितना आम का उत्पादन होता है उसमें आधा तो निर्यात कर दिया जाता है.
विदेशों में अलफांसो की बड़ी मांग है और इसे बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है. इस संबंध में आम व्यापारी और एपीएमसी फ्रूट मार्केट के निदेशक संजय पानसरे ने बात की. उन्होंने बताया, ‘किसान आम में बहुत ज्यादा निवेश करते हैं. यह ऐसा फल है जिसकी विदेशों में बहुत मांग है.
अगर आम का निर्यात नहीं होगा तो किसानों को बहुत नुकसान होगा. अभी हवाई मार्ग से आम का निर्यात पूरी तरह से बंद है. हम हवाई मार्ग से निर्यात नहीं कर पा रहे हैं. एक अन्य विकल्प समुद्री रास्ता है, लेकिन इसमें बहुत समय लगता है और अभी कोरोनो वायरस के कारण जहाज को लेकर विदेशी देशों के लिए भी बड़ा सवाल है.
खाड़ी देशों में, जहाज पहले दुबई जाता है और वहां से आम को अन्य देशों में सड़क से भेजा जाता है. लेकिन अन्य देशों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं…तो आम बाजार के लिए स्थिति बहुत खतरनाक दिखती है.’
संजय पानसरे बताते हैं कि एक बक्से को एक पेटी कहा जाता है. एक पेटी में बड़े आकार का चार से पांच दर्जन आम आते हैं जबकि छोटे आकार का आम होगा तो एक पेटी में 8-9 दर्जन आते हैं.
अभी एक पेटी 6 हजार में बिक रही हैं, लेकिन निर्यात नहीं हुआ तो दाम अभी और कम होंगे. अच्छी गुणवत्ता वाले आम के दाम एक हजार रुपये से भी नीचे जा सकते हैं.
संजय पानसरे ने कहा कि सीजन एक महीना देर से शुरू हुए हुआ है इसलिए यह अच्छा है लेकिन उन्हें डर है कि इस साल आम के किसानों के लिए हालात और खराब होंगे. सबसे पसंदीदा आम अल्फांसो महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों से आता है.
पानसरे ने कहा, “मैं सरकार से अपील करता हूं कि वे आम के निर्यात के लिए विशेष इंतजाम करे. सरकार इसके लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था कर सकती है. क्योंकि यदि आम का निर्यात नहीं किया गया तो आधा बेकार हो जाएगा और इसका कोई फायदा नहीं होगा.
उत्पादन बहुत ज्यादा होगा. इससे किसान इतनी बुरी रह प्रभावित होंगे कि कोई कल्पना नहीं कर सकता.” उन्होंने यह भी कहा, “आम से विदेशों से बहुत अच्छी कमाई हो जाती है क्योंकि वहां अच्छी कीमत मिलती है. अगर कुछ नहीं किया गया तो आम की कीमतों में भारी गिरावट आएगी और इसका सीधा असर किसानों और व्यापारियों पर पड़ेगा.”